For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भावों के विहंगम

तेरे फड़फड़ाते पंखों की छुअन से

ऐ परिंदे!

हिलोर आ जाती है

स्थिर,अमूर्त सैलाब में

और...

छलक जाता है 

चर्म-चक्षुओं के किनारों से

अनायास ही कुछ नीर.

हवा दे जाते हैं कभी

ये पर तुम्हारे

आनन्द के उत्साह-रंजित

ओजमय अंगार को,

उतर आती है

मद्धम सी चमक अधरोष्ठ तक,

अमृत की तरह.

विखरते हैं जब

सम्वेदना के सुकोमल फूल से पराग,

तेरे आ बैठने से.

चेतना फूंकती है सुगंधी

जड़, जीर्ण और...अचेतन में.

बोल,भावों के विहंगम!

है कहाँ तेरा घरौंदा?

कण-कण में या हृदय में,

या फिर दूर...

यथार्थ के उस यथार्थ में,

जो कई बार अननुभूत रह जाता है.

-विन्दु

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 1161

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:41am

आदरणीय जितेन्द्र जी,

आपकी बधाई सहर्ष स्वीकार है और आपको भी मेरा  हार्दिक धन्यवाद,रचना पर स्नेहात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:37am

आदरणीया शशि जी:

भावों की अभिव्यक्ति भावों के लिए:)

आपकी उपस्थिति देख मन खुश हुआ.

अभिव्यक्ति आपको सुंदर लगी...इसके लिए आपका बहुत आभार.

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:33am

आपको कुछ पल तक रचना में खोयीं ,रचना सफल हुई  प्रिय महिमा जी.

पंक्तियों को सराहने के लिए आपका सादर आभार.

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:29am

आदरणीया प्राची दी...

आपकी निष्ठ प्रतिक्रिया सदैव मुझे उत्साहित करती है।

आप रचना के तह तक गयीं...उसकी अंतर्धारा को स्पर्श किया...मुझे बहुत अच्छा लगा.

आपका बहुत शुक्रियाआदरणीया,स्नेह बनाये रखें।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:22am

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी आपने रचना को भावपूर्ण कह सराहा.,इसके लिए आभारी हूँ।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:20am

परम आदरणीय विजय सर,

आपकी प्रतिक्रिया का शब्द-शब्द मेरा आन्तरिक उत्साहवर्धन करता है।आपने रचना को कई बार पढा,आशीर्वाद दिया...रचना और रचनाकार दोनों का सौभाग्य है।

आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:15am

आप की टिप्पणी मुझे सम्बल देती है आदरणीय भंडारी सर...इसे बनाये रखें।

सादर आभार आदरणीय।

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:12am

आदरणीय राम शिरोमणि जी आपकी प्रशंसा से उत्साह बढ़ा।

हार्दिक धन्यवाद आपका।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:09am

Respected Kunti Ma'm,

आपकी मुखर प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीया।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 13, 2014 at 4:07am

आपका हार्दिक आभार आदरणीया मीना दीदी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
18 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथिलेश जी बधाई स्वीकारें"
19 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय धामी सर"
23 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय"
24 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपके मंच के बेहद महान आदरणीय सदस्य सौरभ जी में ये अहं नहीं तो और क्या है_ 1  समर साहब से तीन…"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित मिसरे पर…"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई आजी तमाम जी , सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
59 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बेहद दिलकश ग़ज़ल ! शानदार! ढेरो दाद।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//आपको फिलहाल कोई ऐसी किताब पढ़नी चाहिए जो आपका अहं कम कर सके//  आज़ी तमाम महोदय ! इस…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service