For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम क्या जानो जी तुमको हम 
कितना 'मिस' करते हैं...

तुम्हे भुलाना खुद को भूल जाना है 
सुन तो लो, ये नही एक बहाना है 
ख़ट-पद करके पास तुम्हारे आना है 
इसके सिवा कहाँ कोई ठिकाना है...

इक छोटी सी 'लेकिन' है जो बिना बताये 
घुस-बैठी, गुपचुप से, जबरन बीच हमारे 
बहुत सताया इस 'लेकिन' ने तुम क्या जानो 
लगता नही कि इस डायन से पीछा छूटे...

चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी 
अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं 
सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं 
कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें...
----------------अ न व र सु है ल -----------

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 17, 2014 at 8:37pm

भावपूर्ण इस रचना के लिये बधाई आदरणीय सुहैलजी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 16, 2014 at 11:33pm

आपके कहने का अंदाज़ बदला हुआ सा लग रहा है. यह भी सही.

बढिया है.

सादर

Comment by coontee mukerji on January 16, 2014 at 10:13pm

चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी 
अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं 
सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं 
कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें.......बहुत सुंदर..बधाई अनवर जी.

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 6:40pm

वाह !! बहुत सुंदर रचना हेतु  बहुत बधाई स्वीकारें आ0 सुहैल जी । 

Comment by Meena Pathak on January 16, 2014 at 2:42pm

चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी 
अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं 
सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं 
कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें....................... बहुत सुन्दर आ० अनवर जी | बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service