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ढूँढ़ता है दिल मेरा

तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बेवफाई कि खिजां में खो गया था जो कभी ,

प्यार का मौसम दुबारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

जिनकी कातिल सी अदा पर मर मिटा था ये कभी ,

उन निगाहों का इशारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

भूलकर दुनिया के सारे  आशियाँ और मकाँ ,

तेरे आँचल में गुज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

मौलिक व अप्रकाशित

   नीरज 'प्रेम'

Views: 670

Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 8:51pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 8:51pm

श्याम नारायण वर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2014 at 7:07pm

नीरज भाई नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ आपको इस सुंदर रचना  की भी हार्दिक बधाई॥

Comment by sarika choudhary on January 1, 2014 at 10:30am

wowwwwwwwwwwwww..........

it`s amazing.......

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

Comment by coontee mukerji on December 30, 2013 at 10:48pm

तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।..........बहुत सुंदर. हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2013 at 9:20pm

लाजवब गज़ल कही भाई , नीरज जी , बहुत खूब ॥हार्दिक बधाइयाँ ॥

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।   --- बहुत बहुत बधाई इस शे र के लिये ॥

Comment by annapurna bajpai on December 30, 2013 at 6:12pm

सुंदर गजल बधाई आपको प्रेम जी । 

Comment by Shyam Narain Verma on December 30, 2013 at 3:43pm
बहुत ही सुन्दर ,  हार्दिक बधाई आपको …………..

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