For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढूँढ़ता है दिल मेरा

तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बेवफाई कि खिजां में खो गया था जो कभी ,

प्यार का मौसम दुबारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

जिनकी कातिल सी अदा पर मर मिटा था ये कभी ,

उन निगाहों का इशारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

भूलकर दुनिया के सारे  आशियाँ और मकाँ ,

तेरे आँचल में गुज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

मौलिक व अप्रकाशित

   नीरज 'प्रेम'

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 8:51pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 8:51pm

श्याम नारायण वर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2014 at 7:07pm

नीरज भाई नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ आपको इस सुंदर रचना  की भी हार्दिक बधाई॥

Comment by sarika choudhary on January 1, 2014 at 10:30am

wowwwwwwwwwwwww..........

it`s amazing.......

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

Comment by coontee mukerji on December 30, 2013 at 10:48pm

तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।..........बहुत सुंदर. हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2013 at 9:20pm

लाजवब गज़ल कही भाई , नीरज जी , बहुत खूब ॥हार्दिक बधाइयाँ ॥

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।   --- बहुत बहुत बधाई इस शे र के लिये ॥

Comment by annapurna bajpai on December 30, 2013 at 6:12pm

सुंदर गजल बधाई आपको प्रेम जी । 

Comment by Shyam Narain Verma on December 30, 2013 at 3:43pm
बहुत ही सुन्दर ,  हार्दिक बधाई आपको …………..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service