2122 -1212- 112
कट ही जाये अगर ज़बान भी क्या
फिर मिलेगा हमें वो मान भी क्या
आदमीयत के मोल जो मिली हो
दोस्तो ऐसी कोई शान भी क्या
मेरे पैरों में आज पंख लगे
अब ज़मीं क्या ये आसमान भी क्या
छोड दें गर ज़मीन अपने लिये
ऐसे सपनों की फिर उड़ान भी क्या
और के काम आ सके न कभी
ऐसा इंसान का है ज्ञान भी क्या
भाग के गर मुसीबतों से कहीं
बच ही जाये तो ऐसी जान भी क्या
एक चिंगारी से लगी थी आग
अब बचेगा मेरा मकान भी क्या
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अभिनव जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका आभार
आदरणीय उमेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
क्या कहने आ. शिज्जू जी क्या दार्शनिक अंदाज़ में फलसफे वाली ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई दिल खुश हुआ , बहुत शुभकामनायें !!
आ0 शिजू जी सुंदर गजल के लिए बधाई स्वीकारें ।
वाह वाह सर खूब गज़ल हुयी है वाह
आदमीयत के मोल जो मिली हो
दोस्तो एसी कोई शान भी क्या
वाहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह
आदरणीय वीनसजी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया कल्पना जी आपका आभार
भाई रामशिरोमणि जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया महेश्वरी जी आपका आभार
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online