For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है

मोहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है,
भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग आया है।
यहां हर बज्म तेरे नाम से गुलजार होती है,
तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है।।

---------------------------------

दिवाली लब से बोलो तो अली का नाम आता है
जनम भर सिर झुकाने का सलीका काम आता है,
मुल्क में धर्म को लेकर उपद्रव पालने वालों
लिखो और ​फिर पढो रमजान में भी राम आता है।।

---------------------------------------

कली जब फूल बन जाए, भ्रमर तब गुनगुनाएगा,
ये गुलशन में मोहब्बत से भरे नगमे सुनाएगा।
हमने झील समझा था, मगर तुम तो नदी निकली
तुम्हारी प्यास तो कोई समंदर ही बुझाएगा।।

नोट— रचनाएं मौलिक व अप्रकाशित हैं।

Views: 541

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on January 9, 2014 at 11:01am

बहुत सुंदर

Comment by atul kushwah on December 20, 2013 at 4:52pm

आदरणीय सर, प्रयास करूंगा। सादर— अतुल

Comment by atul kushwah on December 20, 2013 at 4:51pm

आदरणीय सौरभ सर, आपका मार्गदर्शन इस अबोध प्रयास के लिए महत्वपूर्ण है।  सादर— अतुल


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 12:13am

आपक इस मंच पर स्वागत है अतुलभाई. मैं संभवतः आपकी कोई पहली रचना ही पढ़ रहा हूँ. रचनाकर्म के क्रम में सार्थक अनुभूतियों और भाव की गहनता को प्रश्रय दें.

शुभ-शुभ

Comment by atul kushwah on December 16, 2013 at 5:41pm

गिरिराज जी, अबोध प्रयास को सराहने के लिए बहुत सारा धन्यवाद। सादर— अतुल


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2013 at 5:26pm

आदरणीय अतुल भाई , सुन्दर चतुस्पदियों के लिये आपको बधाइयाँ !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service