एक बार हमें भी लगा कि हमें शायर बनना चाहिये हमने शुरुआत की, हमने शुअरा को पान खाते देखा तो हमें लगा यह भी शायर बनने के लिये ज़रूरी है सो हमने शुरुआत यहीं से की l
आनन फानन कुछ अशआर लिख मारे और छपवाने के लिये मशहूर अखबार के दफ़्तर गये जहाँ हमें हमारी शख़्सियत को देखते हुये संपादक से मिलने का सौभाग्य मिला l
संपादक महोदय ने ऊपर से नीचे तक हमें देखा और हमारे हाथ से लेकर हमारी रचनाये पढ़ने के बाद संपादक महोदय ने कुछ कहने की भी जहमत नही उठाई, वो अपने मनहूस लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रहे थे उन्होने कुछ किया और लैपटॉप का स्क्रीन हमारी तरफ कर दिया और इशारे से सुनने को कहा l
पुलिस बने अभिनेता अवतार गिल कह रहे थे- “आप शराफत से बाहर जायेंगे या धक्के देकर बाहर निकालूँ”
और हमारे शायर बनने का सपना टूट गया l
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
क्या अॅंदाज़ है. हा हा..................
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तपन जी
आदरणीय गिरिराज सर आपका आभार
बहुत बहुत शुक्रिया भाई अरुण जी
बिल्कुल सही कहा आदरणीय योगराज सर आपने, रचना के अनुमोदन के लिये आपका धन्यवादl जय ओ बी ओ
आदरणीया डॉ प्राची जी रचना को सराहने के लिये आपको धन्यवाद
शराफत से बाहर आना पड़ा गीतिका जी मेरी फिल्मी बेइज़्ज़ती मैं किसी को बताना नही चाहता था,
आदरणीय अखिलेश सर आपने अच्छा उपाय बताया अगली बार ज़रूर आजमाऊंगा। तारीफ के लिये शुक्रिया
आदरणीय गणेशजी आपको हँसाने में कामयाब रहा लिखना सफल हुआ, शुक्रिया आपका
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