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दोहे : अरुन शर्मा 'अनन्त'

मन से सच्चा प्रेम दें, समझें एक समान ।
बालक हो या बालिका, दोनों हैं भगवान ।।

उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करते हैं आसान ।।

नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होते नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।

ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।

सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 7:48pm

प्रिय अरुण जी 

एक एक दोहा सुन्दर चिंतन व सज्जनतापूर्ण आचरण को प्रस्तुत करता है..

इस सार्थक, और सुन्दर दोहावली के लिए हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:47am

आदरणीय एडमिन महोदय कृपया ये दो दोहे आदरणीय सौरभ सर के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ठीक कर दें. आपका आभारी रहूँगा.

उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करता है आसान ।।.............. करते हैं आसान..भले-बुरे का ज्ञान  संज्ञा-समुच्चय में अंतिम संज्ञा है न. अतः क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होता नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।............ हितकारी होते नहीं ..... क्रोध लोभ और अभिमान तीन संज्ञाएँ हैं. अतः, वाक्यांश की क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:46am

आदरणीय श्री सौरभ सर आपकी उर्जा स्वरुप टिपण्णी पाकर गद गद हूँ आपको दोहे पसंद दोहे सार्थक हुए.

वास्तविकता यही है कि आपकी प्रतीक्षा रहती है कब रचना आपकी दृष्टि से होकर गुजरेगी. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:42am

हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:42am

हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू भाई जी, आदरणीय अनुराग जी, आदरणीय वैद्यनाथ जी, आदरणीय आशुतोष जी, आदरणीय सत्यनारायण जी, आदरणीय रमेश जी, अनुज राम भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:39am

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई जी आदरणीय गोपाल नारायण जी, आदरणीय अरुन अभिनव भाई जी, आदरणीय गिरिराज जी,आदरणीय जीतेंद्र जी, आदरणीय सुशील भाई जी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:38am

आदरणीय श्याम नारायण जी हार्दिक आभार आपका

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:37am

आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी बहुत ही सुन्दर दोहे /// हार्दिक बधाई आपको///सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 8:38pm

ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।

सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।

सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।

हय-हय हय-हय.. . भाई अरुन अनन्तजी, उपरोक्त दोहों पर बस झूम गया. मोह् लिया आपने भइया.

बहुत खूब ! बहुत-बहुत खूब !!

उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करता है आसान ।।.............. करते हैं आसान..भले-बुरे का ज्ञान  संज्ञा-समुच्चय में अंतिम संज्ञा है न. अतः क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होता नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।............ हितकारी होते नहीं ..... क्रोध लोभ और अभिमान तीन संज्ञाएँ हैं. अतः, वाक्यांश की क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

शुभेच्छाएँ

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 16, 2013 at 8:30pm

बहुत ही सुंदर दोहे आदरणीय अरूणजी, बधाई बधाई

कृपया ध्यान दे...

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