For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसा ये जीवन हुआ, दिन प्रति बढ़े विकार

लोभ, मोह, मद, दंभ भी, नित लेते आकार  

नित लेते आकार, स्वार्थ के सर्प अनूठे

बाँट रहे संदेह, नेह के बंधन झूठे

मन में फैली रेह, भाव है ठूंठों जैसा

संवेदन अब शून्य, मूल्य संस्कृति का कैसा

                - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:12pm

संवेदन अब शून्य, मूल्य संस्कृति का कैसा

बहुत ही स्टीक बात कही आपने बहुत ही भावपूर्ण कुंडलियाँ है | बधाई आपको 

Comment by बृजेश नीरज on October 21, 2013 at 10:45pm

आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 21, 2013 at 8:20pm

आदरणीय बृजेश भाई , कुंडलिया के माध्यम से बहुत सुन्दर बात कही है !!!!! आपको बहुत बधाई !!!!

Comment by बृजेश नीरज on October 21, 2013 at 7:09am

आदरणीय अभिनव जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on October 21, 2013 at 7:08am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Abhinav Arun on October 21, 2013 at 6:41am

मन में फैली रेह, भाव है ठूंठों जैसा

संवेदन अब शून्य, मूल्य संस्कृति का कैसा

.............बहुत सशक्त रचना हार्दिक बधाई आ. नीरज जी !

Comment by annapurna bajpai on October 20, 2013 at 11:00pm

बहुत ही सुंदर और सार्थक कुण्डलिया की रचना हेतु बहुत बधाई आपको आ0 बृजेश जी । 

Comment by बृजेश नीरज on October 20, 2013 at 1:45pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on October 20, 2013 at 1:45pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on October 20, 2013 at 1:45pm

आदरणीय शिज्जू जी आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभीवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। भाई अमित जी के सुझाव से यह और निखर…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले गौर…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये बहुत कुछ सीखने को मिलता है…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह से और भी निखर गयी…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका, सुधार की कोशिश की है। सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका बारीक़ी से ग़ज़ल की त्रुटियाँ समझाने और इस्लाह के…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service