फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
***********************
दर्द इतना दर्द फैला देख कर
रोज ऐसे रक्त बहता देख कर
मून्द कर आँखे भला कैसे रहूँ
फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
भाइयों के बीच जब दीवार हो
और हल के वास्ते तलवार हो
हाथ बान्धे मै भला कैसे रहूँ
फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
अंग मेरे देश का कटते रहे
उसपे देश शांति ही रटते रहे
शीत रक्त फिर भी मै कैसे रहूँ
फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
भारतीयता पड़ी मूर्छित यहाँ
सभ्यता परदेश की चर्चित यहाँ
स्वधर्म त्याग मै भला कैसे रहूँ
फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
जब कर्णधार देश लूट खा रहे
फिर भी राष्ट्र्-भक्त कहे जा रहे
शांत मन कहिये भला कैसे रहूँ
फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
बेड़ियाँ पड़ने लगी है शब्द को
तमगे मिले,भाट को निःशब्द को
रख के कलम चुप भला कैसे रहूँ
फिर कहो तुम मूक मै कैसे रहूँ
!!!मौलिक एवँ अप्रकाशित !!! ( संशोधित )
Comment
आदरणीय गिरिराज सर जी बेहद सुन्दर गीत रचा है आपने मन प्रसन्न हुआ पढ़कर बधाई स्वीकारें
आदरणीय महिमा जी , गीत मो मान देने के लिये और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!
आदरणीय नादिर भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!
आदरणीय सन्दीप भाई , गीत की सराहना के लिये , हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!!!
दर्द इतना दर्द फैला देख कर
रोज ऐसे रक्त बहता देख कर
मून्द कर आंखे भला कैसे रहूँ
तुम्ही कहो ,कि मूक मै कैसे रहूँ
वाह बहुत ही ह्रदयस्पर्शी गीत आदरणीय गिरिराज जी बधाई आपको
बेड़ियाँ पड़ने लगी है शब्द को
तमगे मिले,भाट को निःशब्द को
रख के कलम चुप भला कैसे रहूँ
तुम्ही कहो ,कि मूक मै कैसे रहूँ
आदरणीय गिरिराज जी उम्दा गीत के लिए बधाई ।
बहुत ही सुन्दर गीत रचा है आदरणीय गिरिराज जी ...............हार्दिक बधाई स्वीकारें
आदरणीय अनुराग भाई , रचना की सराहना के लिये और उत्साह वर्धन के लिये आपका नहुत शुक्रिया !!
आदरणीया मीना जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!
क्या कहने बड़े भाई साहब ! अति उत्तम प्रस्तुति! बहुत ही सुन्दर भाव ! आपके लिए विशेष बधाई इस विशेष रचना पर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online