For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खयालों में वही पहली नज़र की मस्तियाँ भी थीं



1 2 2 2    1 2 2 2    1 2 2 2    1 2 2 2

हुए रुखसत दिले -नादां  की ही  कुछ सिसकियाँ भी थी
खयालों में वही पहली नज़र की मस्तियाँ भी थीं

लहर तडपी थी हर इक याद पे मचला भी था साहिल
ज़माने की वही रंजिश में डूबी किश्तियाँ  भी थीं

बिखरती वो घड़ी बीती न जाने कितनी मुश्किल से
दबी ही थी जो सीने में क़सक की बिजलियाँ भी थीं

कभी कहते थे वो भी उम्र भर यूँ साथ चलने को
चलीं हैं साथ जो अब तक वही गमगीनियाँ भी थीं

भुलाकर यूँ न जी पायेंगे गुजरे वक़्त को हमदम
नहीं भूले हैं जो अब तक, वही बेचैनियाँ भी थीं

अभी तक  याद है वो  कौन सा लम्हा हुआ कातिल
नज़र खामोश थी  औ दिल की कुछ  मजबूरियाँ भी थीं

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित ji

Views: 942

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 6, 2013 at 2:37pm

सुन्दर ग़ज़ल हुई है प्रिय संजू सिंह जी 

अभी तक  याद है वो  कौन सा लम्हा हुआ कातिल
नज़र खामोश थी  औ दिल की कुछ  मजबूरियाँ भी थीं...सुन्दर 

हार्दिक बधाई 

Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 1:24am


अभी तक  याद है वो  कौन सा लम्हा हुआ कातिल
नज़र खामोश थी  औ दिल की कुछ  मजबूरियाँ भी थीं..............बहुत सुंदर

Comment by MAHIMA SHREE on October 4, 2013 at 10:19pm

बहुत ही खुबसूरत गज़ल आदरणीया संजू जी बधाई आपको

Comment by वीनस केसरी on October 4, 2013 at 8:16pm

लौट कर ग़ज़ल के संशोधित रूप को पढ़ना रुचिकर लगा

गुणीजन द्वारा अमूमन सभी दोष इंगित किये गए और अपने ग़ज़ल को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ...

अक्सर ऐसा होता है कि शुरुआत में ही ग़ज़ल पर विस्तार से टिप्पणी आगे की टिप्पणियों को प्रभावित कर जाती है इसलिए सोचा कुछ रुक के कहा जाए ...

मचला भी था साहिल
को
मचला था साहिल भी ... किया जा सकता है ... वैसे ग़ज़ल में कहन के हवाले से अभी बहुत गुंजाईश है :)))))))))

Comment by विजय मिश्र on October 4, 2013 at 1:26pm
बहुत खूब , बेहतरीन अन्दाज और संजीदा गज़ल .मुबारक हो संजुजी ,
Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 8:33am

वाह! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने. आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 7:33am

खूबसूरत गज़ल है आदरणीया संजू जी.....

Comment by sanju shabdita on October 3, 2013 at 11:45pm

प्रथम दृष्टया ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें ...

आगे विस्तार से कुछ कहने के लिए लौट कर आऊँगा ////aadarneeya veenas ji mujhe intzar hai ki aap aayen aur vistar se kuchh kahen ...jisse mai ghazal ko sudhar sakun....abhi mai aapki badhai sweekar karte hue aap ka shukriya ada karti hu...

Comment by sanju shabdita on October 3, 2013 at 11:40pm

aadarneeya sudhijanon ko mera hridaytal se aabhar ..aap sabhi ne meri rachna ka anumodan kiya mai atyadhik aabhari hu.aap sabhi ke sujhawo se nishchay hi meri yah kachchi ghazal purdta ko prapt hogi ..aap sabhi ke sujhawon ka hriday se swagat karti hu....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 10:27pm

मतला ही दोषपूर्ण हो गया.. क्यों ?  आपको पता है..

कोशिश अच्छी है. मगर बहुत अच्छी होनी थी न .. :-))))

शुभेच्छाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service