For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकीदत का करो रौशन चिरागाँ काम से पहले

खुदा को याद कर लेना कभी आलाम से पहले                     आलाम =तकलीफों

 

तुम्हारे दम से कायम ज़िन्दगी का है निशां यारब
झुके सजदे में सर मेरा किसी ईनाम से पहले

 

छुपा आगोश में माँ हमपे ममता की करे बारिश

हमें करुणा की ठण्डक दे कभी आराम से पहले


दुआओं की तेरी तासीर इतनी फ़ैज़ इतना माँ                        तासीर =प्रभाव, फ़ैज़= अनुकम्पा

महक जायें मेरी ये रहगुज़र हर गाम से पहले

 

दिलों को बाँट के रख दे जहालत की कोई दीवार                     जहालत= अज्ञानता

हटायें हम चलो मिलकर इसे कुह्राम से पहले

 

-मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 4, 2013 at 7:18pm

हौसला अफ़्जाई के लिये मैं आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ, स्नेह बनाये रखें

Comment by विजय मिश्र on October 3, 2013 at 2:28pm
सीख भी ,सादगी भी और प्यारी सी . बधाई सिज्जुजी
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 3, 2013 at 8:38am

भार्इ जी!   बेहतरीन गजल। आपको हृदयतल से ढेरों हार्दिक बधाइयां।  सादर,

Comment by vandana on October 3, 2013 at 7:27am

सम्पूर्ण ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी 

Comment by Sushil.Joshi on October 2, 2013 at 9:31pm

दिलों को बाँट के रख दे जहालत की कोई दीवार

हटायें हम चलो मिलकर इसे कुह्राम से पहले...... वाह....बहुत सुंदर आदरणीय शिज्जू जी... बधाई हो...

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 2, 2013 at 8:11pm

आदरणीय सिज्जू जी इस उम्दा प्रस्तुति पर बधाई

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on October 2, 2013 at 5:45pm

एक अच्छी ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें! फिर भी यह प्रतीत हो रहा है कि ग़ज़ल थोड़ा वक़्तो मश्क़ और मांग रही थी! :-) मत्ले की ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा हुज़ूर कि चराग़ाँ बहुवचन है अतः अक़ीदत 'का' के स्थान पर 'के' उचित होता! इसके उपरांत भी आपकी ग़ज़ल की जान आपका मत्ला है जो बेहतरीन है! सादर,

Comment by बृजेश नीरज on October 2, 2013 at 5:29pm

वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2013 at 4:42pm

ग़ज़ल अच्छी हुई है सिज्जू भाई, बधाई स्वीकार करें । 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 2, 2013 at 2:22pm

बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली ! बेहतरीन ! लाख लाख बधाई आपको !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service