For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!! आओ बैठे बात करे !!

 

कुछ तुम्हारे कुछ हमारे  आओ बँया जज्बात करे । 

आओ बैठे बात करे,  आओ बैठे बात करे ।

गुजर गये जो लम्हे प्यारे, आओ उनको याद करे ।

आओ बैठे बात करे,  आओ बैठे बात करे ।

 

क्या याद है  वो माली काका, जिसके  आम चुराया करते थे ।

क्या याद है  वो अब्बू चाचा, जिसकी भेड छुपाया करते थे ।

क्या याद है  वो पेड नीम का, जिससे पतंगे उतारा करते थे ।

क्या याद है  वो बूढा बरगद ,जिसकी शाखो से झूला करते थे । 

आओ फिर से नदियो को तैर के हम पार करे । आओ बैठे बात करे ।

 

क्या आज भी  बात बात पे वो बूढी अम्मा छ्डी दिखाती है ।

क्या आज भी रातो को नानी, परियो की कथा सुनाती है ।

क्या आज भी तेरी अम्मी, चुल्हे पे रोटी बनाती है ।

क्या आज भी तेरी छुटकी,  तेरे  ढूँढ के बिस्कुट खाती है ।

आओ अपने बचपन का हम फिर से  दोहराब करे । आओ बैठे बात करे ।

 

क्या आज भी पनघट पे कुडियो का वो ही मेला लगता है  ।

क्या आज भी कोई नटवर बन कर राधा को छेडा करता है  ।

क्या आज भी पत्थर मे लिपटा , वो कागज का टुकडा मिलता है ।

क्या आज भी सरसो के खेतो मे  कोई प्रेमी जोडा मिलता है  ।

आओ अपनी तरुणाई के हम फिर से दिन और रात करे । आओ बैठे बात करे ।

 

क्या आज भी पाठशाला मे वो बूढी काकी आती है ।

क्या आज भी वो खट्टा चूरन मीठी गोली लाती है ।

क्या आज भी कक्षा मे आकर गुरूजी सोया करते है   ।

क्या आज भी बच्चे कक्षा से खेलने  भागा करते है 

आओ  फिर से हम अपने गिनती पहाडॆ  याद करे । आओ बैठे बात करे ।

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on November 6, 2013 at 4:50pm

आपको पहली बार पढ़ रही हूँ ,बहुत ही खुबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकारें 

Comment by बसंत नेमा on September 12, 2013 at 4:29pm

आ0 सौरभ जी ...अब आप की बात का  पूरा ख्याल रखेंगे ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 4:20pm

आपसे अच्छी और संयत रचनाओं की प्रतीक्षा में.. .

शुभ-शुभ

Comment by बसंत नेमा on September 12, 2013 at 4:10pm

आ0 सौरभ जी आभार शुक्रिया आप ने रचना को समय दिया ।  रचना को आप का अशीष मिला धन्यवाद ......

Comment by बसंत नेमा on September 12, 2013 at 4:07pm

आ0 जवाहर जी बह्तु बहुत शुक्रिया धन्यवाद .... आप के सहयोग और अशीष के लिये

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 12, 2013 at 2:43pm

बहुत सुन्दरता और सहजता के साथ आपने सबकुछ याद दिला दिया!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 1:42pm

भावदशा जब इतनी साग्रही थी तो इसे ऐसा हश्र क्यों होने दिया, भाई ?  इस भावदशा को गीतात्मक रूप से प्रस्तुत किया जाना आपके कविकर्म की कसौटी होती. अभी तो ख़ैर यह रचना भावुकता का सतही प्रस्तुतीकरण हो कर रह गयी है.

इस मंच का उचित सदुपयोग हो, भाईजी. 

शुभेच्छाएँ

Comment by बसंत नेमा on September 12, 2013 at 10:00am

 आ0 गिरिराज जी सादर नमन , आप गुरुजनो के समक्ष रचना अपना असर छोड पाई रचना सफल हुई ,   आप ने रचना के लिये अपना समय दिया शुक्रिया .... आप भी मेरे साथ उस सुहाने सफर मे शमिलहुये उसके लिये तहे दिल से शुक्रिया ..धन्यवाद

Comment by बसंत नेमा on September 12, 2013 at 9:59am

आ0 अनिल जी सादर नमन , आप ने रचना के लिये अपना समय दिया शुक्रिया .... ये समय ही ऐसा होता है जिसमे जितना खोया उतना कम है ...धन्यवादशुक्रिया 

Comment by बसंत नेमा on September 12, 2013 at 9:57am

आ0 अरुन जी सादर नमन , आप ने रचना के लिये अपना समय दिया शुक्रिया .... आप भी मेरे साथ उस सुहाने सफर मे शमिलहुये उसके लिये तहे दिल से शुक्रिया ..धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागतम"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाई , वाह ! बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश भाई  हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल हुई है,  हार्दिक  बधाई वीकार…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण  भाई , अच्छी ग़ज़ल कही , बड़ी कठिन रदीफ़ चुनी आपने , हार्दिक  बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें मक्ता शायद अपनी बात नहीं कह पा रहा…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति हमेशा प्रेरणा दाई  होती है , ग़ज़ल के कुछ शेर आपको अच्छे…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service