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तज़्मीन--जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल चुन

तज़्मीन-- किसी अन्य शायर के शेर पर, शेर से पहले तीन पंक्तियाँ नई इस तरह से जोडना कि वे पंक्तियाँ उसी शेर का अविभाज्य अंग लगें। मैं डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी के दो शेरों पर दो तज़्मीन पेश कर रहा हूँ। गौर फरमाईयेगा।

1.

जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन

कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन

तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान

हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,

तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी

2.

बात करके भी अधूरी छोडना

ख़्वाब बुनना और उनको तोडना 

हर घडी बस बेसबब ही बोलना-----सूबे सिंह सुजान

काम है दुनिया का उल्टा सोचना   

और दुनिया को इसी पर नाज़ है।।   ------डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी 

यह रचना मौलिक व अप्रकाशित है।

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Comment by सूबे सिंह सुजान on September 10, 2013 at 10:07pm
विजय मिश्र, जी आपकी टिप्पणी से मुझे पता चला कि किसी ने तो तज़्मीन के बारे में पढा और सोचा......आपका तहे-दिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 10, 2013 at 6:39pm

आदरणीय सुजान भाई , लाजवाब रचना की आपने और एक नई बात तज़्मीन भी पता चली !!! बधाई

Comment by विजय मिश्र on September 10, 2013 at 6:33pm
बहुत काबिलीयत से इसे अंजाम दिया सुजान भाई , काबिलेतारीफ .शुक्रिया इस नई पैमाइश केलिए .

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