For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोज स्कूल जाते समय पीछा करते आखिर आज असलम ने लता का हाथ रस्ते में पकड़ने की हिमाकत कर ही डाली!!!!!!!!!!!
लता सकपका गई। कातर निगाहों से वो इधर उधर देखने लगी। आने जाने वालों की खामोश नज़रें असलम के खौफ को साफ बयां कर रही थी !
तभी एक पुलिसवाले की नज़र उन पर पड़ी। उसने तत्काल लता को असलम से छुड़वाया और उसे  थाने  में उठा लाया। बयां देने के लिए लता को भी जाना पड़ा। 
कार्यवाही जारी थी  …… 
लता के मन में असलम और उसके समाज  के प्रति घृणा और वितृष्णा के पहाड़ अपनी उचाईयां नापने लगे। देखते ही देखते उसके मन में ऐसे ही कई पहाड़ स्थापित हो गए !
"तड़ाक "! !
एक चांटे की आवाज ने लता की तन्द्रा भंग कर दी !
पुलिस थाने में पहुंची असलम की माँ ने एक जोरदार तमाचा असलम के गालों पे जड़ दिया। 
"थानेदार साब इस नामुराद को लाकअप में डाल दीजिये। जो किसी लड़की का सरे राह अपमान करे  वो मेरा बेटा  हो ही नहीं सकता "
फिर पलट के उसने लता के सामने हाथ जोड़ लिए। 
लता के मन में स्थापित सारे  पहाड़ पिघलने लगे थे   …… 
---------------------------------------------------------------------------------
अविनाश बागडे (मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:31pm

"यदि हर अपराधी  की माँ ऐसी होने लगे तो अपराध  जड़ से समाप्त होते देर नहीं लगेगी"

 अनुपमा जी /एकदम सही कहा आपने /आभार 

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:29pm

 "जितनी बुराई है उतनी अच्छाई  भी है इसी दुनिया में "..sahi bat hai श्याम जुनेजा sir.

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:28pm
Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:27pm

"अगर घर से सही शिक्षा मिले तो ..........

समाज मे अपराध न हो , "......bilkul Aman Kumar ji

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:27pm

ऐसे अपराघियों का पारिवारिक बहिष्कार बहुत जरूरी है..ji Meena ji ....100% sahamat hu..

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 8:01pm

इस लघु कथा के माध्यम से समाज को सुन्दर सन्देश जाएगा | बहुत बहुत बधाई स्वीकारे श्री अविनाश बागडे जी 

Comment by Shubhranshu Pandey on September 3, 2013 at 6:40pm

आदरणीय अविनाश जी. उस थप्पड़ की गूँज दूर तक सुनाइ दे रही है....

सादर.

Comment by विजय मिश्र on September 3, 2013 at 5:37pm
यह कथा अति महत्वपूर्ण सन्देश लिये हुए है और उस कृत्रिम अवधारणा का सीधा काट भी जीसका निर्माण समाज में तीव्रता से किया जा रहा है अपने-अपने क्षुद्र हितों के लिए.सार्थक सृजन .साधुवाद और आदर अविनाशजी .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2013 at 5:00pm

आदरणीय अविनाश जी 

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर लघु-कथा पर..

एक इंसान की हरकत देख पूरे समुदाय के लिए वैसा ही सोचना ठीक नहीं.. कई-कई ऐसे अपराध सिर्फ वैयक्तिक मानसिकता पर ही निर्भर करते हैं ... जो एक तरह के मनोवैज्ञानिक रोग ही होते हैं.

सुन्दर सन्देश दिया है...

हार्दिक बधाई 

....लेकिन अभी भी शिल्प को काफी और कसा जा सकता है, जिस पर विशेषज्ञ ही अपनी महत्वपूर्ण राय दे सबको सीखने का अवसर प्रदान कर सकते हैं.

सादर.

Comment by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 4:01pm

आ० बागड़े जी बहुत अच्छी लगहु कथा , यदि हर अपराधी  की माँ ऐसी होने लगे तो अपराध  जड़ से समाप्त होते देर नहीं लगेगी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service