"अबे तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया ? बेगानों का साथ देकर अपनों से गद्दारी करेगा?
"वो साले बेगाने ज़रूर हैं, लेकिन दिहाड़ी भी तो डबल देते हैं."
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रचना को समय देने और पसंद फरमाने के लिए आपका आभारी हूँ भाई बृजेश नीरज जी.
दिल से शुक्रिया भाई केवल प्रसाद जी.
लघुकथा पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शुभ्रांशु भाई.
लघुकथा पसंद करने के लिए दिल से शुक्रिया शुभ्र शर्मा जी.
रचना को समय देने और पसंद करने के लिए ह्रदय तल से आभारी हूँ आद० गिरिराज भंडारी जी.
दिल से धन्यवाद सोनम सैनी जी
सादर धन्यवाद अन्नपूर्णा जी.
भाई अरुन शर्मा अनंत जी, रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद.
लघुकथा के मर्म तक पहुँचने के लिए ह्रदय ताल से आपका आभार आद० राजेश कुमारी जी.
सच! पैसों की खातिर इंसान किसी भी हद तक जा सकता है, फिर चाहे अपने हो या बेगाने,
आदरणीय योगराज जी, कम शब्दों में बहुत कुछ कहने वाली सशक्त लघुकथा पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें
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