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सहरा में कहीं खो जायें न हम, आवाज़ हमें देते रहना ।
नयी राहों का नयी मंजिल का, आगाज़ हमें देते रहना ।

माना कि उदासी के सायें कभी हमको घेर भी लेते हैं ,
खुश रहकर जीने का अपना, अन्दाज़ हमें देते रहना ।

जब गिरने लगे ये तनहा मन घनघोर निराशा के तल में,
ऐसे में अपनी उल्फत की, परवाज़ हमें देते रहना ।

भावों की लहर जब उठती है, शब्दों के शहर बह जाते हैं ,
वो प्यार सहेजने को अपने, अल्फ़ाज़ हमें देते रहना ।

जो दिल में हमारे रहती है  हम सब तुमसे कह जाते हैं ,
प्रियतम तुम भी अपने दिल के, हर राज़ हमें देते रहना ।

जीवन के फसानों से गुज़रे, जो दिल के तरानों से गुज़रे ,
वो गीत हमें देते रहना , वो साज हमें देते रहना ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:26pm

आदरणीया प्राची जी ज़रूर ,
बहुत बहुत आभार आपका ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:20pm

आदरणीय विजय भाई
दिन कुछ और हो जाता है
रात कुछ और हो जाती है ।
हमारी गली में आपके आने से
बात कुछ और हो जाती है ।

बहुत बहुत बहुत बहुत
अनुग्रह आपका ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:15pm

आदरणीय आशुतोष जी आप की टिपण्णी
से बहुत बहुत अनुग्रहीत हूँ .....
और बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:13pm

बहुत बहुत आभार ।
भाई आदित्य कुमार ।
जी ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:10pm

आदरणीय अरुण भाई पहले तो आप का
बहुत बहुत शुक्रिया .........
अभी उर्दू ग़ज़ल कक्षा में सीख रहा हूँ
और जल्दी ही शायद सीख भी जाऊं
फिर बहर भी ज़रूर लिखूंगा ।
अभी तो ग़ज़ल बनती है गुनगुनाने पर
मतलब गाते गाते बन जाती है ....
बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:04pm

आदरणीय गिरिराज भाई बहुत बहुत बहुत बहुत
शुक्रिया ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 7:39pm

भाई नीरज मिश्रा जी 

गज़ल के साथ बह्र भी ज़रूर लिख दिया करें...

Comment by विजय मिश्र on August 19, 2013 at 4:41pm
"भावों की लहर जब उठती है, शब्दों के शहर बह जाते हैं ," दमखम से भरा है . सुंदर रचना , हार्दिक बधाई नीरजजी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 19, 2013 at 8:24am

जीवन के फसानों से गुज़रे, जो दिल के तरानों से गुज़रे ,
वो गीत हमें देते रहना , वो साज हमें देते रहना ...हमारी भी यही कामना है ..शानदार प्रयास ..

Comment by Aditya Kumar on August 18, 2013 at 6:13pm

अति सुन्दर रचना ! हार्दिक बधाई आदरणीय भाई नीरज जी !

कृपया ध्यान दे...

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