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सदा देश है प्यारा |

सार छंद | १६-१२ पर यति , अंत दो गुरु |

 

पवन वेग से दीप बचाना, छा ना जाये अंधेरा | 
बढ़ते जाओ चढ़ते जाओ, तोड़ो यम का  डेरा |  
रास्ते में बाधा ना आये, रोक सके ना घेरा | 
वीरों आगे बढ़ते जाओ, तम का तोड़ो डेरा | 
राह से विचलित नहीं होना, बस मंजिल पाना है | 
सर्दी गर्मी या बारिस हो, लक्ष्य ही निशाना  है | 
जहाँ चाह हो वहीँ राह है, नित बढ़ते जाना है |  
मुसीबतों से ना घबराना, खार को हटाना है | 
आंधीं तूफान राह रोके, बढ़  राह बनाना है |  
देश पर भी  आँच ना आये, नित बढ़ते जाना है | 
कोई साथी गर फँस जाये, फ़ौरन बचाना है |  
मिल जुल कर हर कदम बढाओ, बुराई मिटाना है |
वीरों सदा सत पथ पर चलो, देश को बढ़ाना है |  , 
नव विज्ञान नये  तकनीक से, हर खुशियाँ लाना है |
देश का नाम हो दुनिया में, काम कर  दिखाना है |

वर्मा सदा  देश है प्यारा, खुशहाल बनाना है |

.

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Shyam Narain Verma on August 14, 2013 at 2:36pm
आदरणीय ,

प्रणाम ,

 

आपकी  राय सदा ही सिरोधार्य है |
बहुत बहुत धन्यवाद
सादर ,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 14, 2013 at 2:03pm

आदरणीय श्याम वर्मा जी, आप तो बहुत पुराने सदस्य हैं, ओ बी ओ पर ढेर सारी रचनाएं आपने पोस्ट कर रखी है, फिर भी मात्रा का सही नही होना, क्या कहा जाय, केवल पोस्ट की संख्या बढ़ाते रहना आपका उद्देश्य है तो मैं कुछ नही कहूँगा | सादर |

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