For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऊब गया मैं ऊब गया रोज किताबों को पढ़कर !

ऊब गया मैं ऊब गया

रोज किताबों को पढ़कर !

भाषा की सरल किताबों में

जब व्याकरण की मार पड़ी

छंद विधानों में उलझा

तब जोड़ न पाया कोई लड़ी

 

समझ न पाया लय तुक को

वहां चली नहीं अपनी तिकड़ी

वहीँ बीजगणित के समीकरण से

छूट गयी अपनी छकड़ी

 

अंकगणित के जटिल प्रश्न

जब मेरी समझ से दूर रहे

व्यास परिधि के चक्कर में

भूमिति नें बुद्धि को जकड़ी

 

विज्ञान ज्ञान से दूर रहा

अज्ञान का था पलडा भारी

त्रिकोणमितीय के सूत्रों से

भूल गयी  सारी अकडी

 

 

तब से मैंने मन ठान लिया

अब नहीं किताबों को पढ़ना

नहीं सुहाता अब मुझको

बस रोज किताबों का पढ़ना

 

घर में अब जब रहता हूँ तो,

घरवालों को पढता हूँ

घर से  जब बाहर जाता हूँ तो,

मुसाफिरों को पढता हूँ

 

ऑफिस में अधिकारी पढ़कर

सत्य बात कहूं फाईल की

काश! सभी को आ जाये

अनमोल विधा यह पढ़ने की

 

मन पावन भावों को पढकर

कठिन कार्य सुलझाने की

कंकरी, संकरी लम्बी राहों पर

चल जीवन सफल बनाने की

 

मौलिक व अप्रकाशित

-सत्यनारायण सिंह

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on July 14, 2013 at 4:05pm

आदरणीय नीरज  जी सादर,

      सराहना एवं प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत बहुत  आभारी हूँ. धन्यवाद

Comment by Satyanarayan Singh on July 14, 2013 at 4:03pm

आदरणीय बृजेश जी सादर,

             मन में उठे भावों को जस का तस रचना में उतारने का प्रयास भर मैंने किया है. निश्चित ही रचनामें त्रुटियाँ विद्यमान हैं. किन्तु, त्रुटियों को नजरअंदाज कर आपने  मेरे सद्प्रयास को शुभ कामनाएँ प्रेषित कर लेखनी को बल दिया  है उसके लिए मैं  आपका बहुत बहुत आभारी हूँ. धन्यवाद

Comment by Neeraj Nishchal on July 14, 2013 at 3:58pm

wah wah bahut hi sundar ise hi to kahte hain

jahan naa pahunche ravi.........

wahan pahunche kavi.............

Comment by Satyanarayan Singh on July 14, 2013 at 3:48pm

आदरणीय सुमित नैथानी जी सादर,

      सराहना एवं प्रोत्साहन हेतु आपका आभारी हूँ. धन्यवाद

Comment by Satyanarayan Singh on July 14, 2013 at 3:47pm

आदरणीय राजेश कुमार जी सादर,

      प्रोत्साहन एवं शुभकामनाओं हेतु आपका आभारी हूँ.

Comment by बृजेश नीरज on July 13, 2013 at 10:16pm

इस प्रयास पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं!

Comment by Sumit Naithani on July 12, 2013 at 4:27pm

घर में अब जब रहता हूँ तो,

घरवालों को पढता हूँ

घर से  जब बाहर जाता हूँ तो,

मुसाफिरों को पढता हूँ...bahut sunder likha hai aapne

Comment by राजेश 'मृदु' on July 12, 2013 at 3:02pm

साथ चलते रहें, हमारी ओर से आपको हार्दिक शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service