For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महाराष्ट्र का भीषण सूखा

पानी को ललात कहीं, दिखी भीड़ बिललात।

लम्बी सी कतार लगी, पात्र रीते घूरते।।

सूख गए कूप सारे, सूने पड़े नल कूप।

सूखी नदियों के घाट, मन देख खीझते।।

जल की आपूर्ति घटी, टैंकरों पे आस टिकी।

महिने में एक बार, गांव जल बांटते।।

गागर छिहाये सिर, चली जात कोसों नार ।

सूखे से नयन जल, जीवन को हेरते।।

 

                     (स्वरचित व अप्रकाशित)

                    -सत्यनारायण सिंह

                    

 

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2013 at 8:46pm

आदरणीया कुंती मुखर्जी सादर,

            रचना के साथ  अनुभव को साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2013 at 8:42pm

आदरणीय सौरभजी, आपके विचारों से मैं पूर्णत: सहमत हूँ.  समय समय पर रचना पर  आपकी  समीक्षात्मक टिपण्णी व व्यक्त किये गए उदबोधनात्मक विचार लेखनी को उर्जा एवं बल प्रदान करने के साथ साथ दोष रहित सुन्दर रचना के सृजन  का गुर भी सिखाते हैं. इस पुनीत कार्य के लिए मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा.  भविष्य में इसीप्रकार का स्नेह व् सहयोग बनाएं रखें.  धन्यवाद.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 31, 2013 at 4:58am

आदरणीय सत्यनारायणजी, किसी शब्द की अक्षरियों के प्रति संवेदनशीलता लेखनकर्म के प्रति किसी लेखक की गंभीरता का द्योतक है, ऐसा मेरा मानना है. सार्थक शब्दों के सुन्दर संयोजन से ही भाव-संप्रेषण होता है. अतः शब्दों की अक्षरियों का यथासंभव सहज और सम्यक होना एक जागरुक पाठक के प्रति लेखक का आदर का भाव है. इसके बाद ही पद्य शिल्पादि पर विचारा जाना सार्थक हो सकता है.

सादर

Comment by coontee mukerji on March 31, 2013 at 1:34am

सत्यनारायण जी ,भयंकर सूखा मैंने भी देखा है. सोचती हूँ तो रोंगटें खड़े हो जाते हैं.

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2013 at 12:05am

आदरणीय संदीप जी सादर, उत्साहवर्धन के लिए मैं आपका आभारी हूँ.  बहुत बहुत धन्यवाद.

           

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2013 at 12:04am

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर,

         आपकी  टिपण्णी निश्चित ही मेरे लेखनी को प्रोत्साहित करेंगी, उत्साहवर्धन के लिए मैं आपका आभारी हूँ.  बहुत बहुत धन्यवाद.

Comment by Satyanarayan Singh on March 30, 2013 at 11:41pm

परम आदरणीय सौरभ जी, सादर, 

सर्वप्रथम मैं आप द्वारा दी  अनमोल प्रतिक्रिया  तथा रचना में अक्षरी दोष के प्रति सजग करने के लिए आपका  ह्रदय से  आभार प्रकट करता हूँ. भविष्य में रचना में अक्षर दोष न हो इस बात का मैं सदैव ध्यान रखूंगा. बहुत बहुत धन्यवाद,

         

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 30, 2013 at 5:22pm

बहुत सुन्दर घनाक्षरी रची है सर जी ................बधाई हो


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 30, 2013 at 2:18pm

सूखे की स्थिति को दर्शाती, हृदय को कचोटती, सुन्दर घनाक्षरी पर बधाई आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 30, 2013 at 12:37pm

एक संयत हो सकती घनाक्षरी के लिए बहुत-बहुत बधाई. 

अक्षरी दोष से बचना आवश्यक है.  सुखा, सुना आदि को शुद्ध कर दिया गया है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service