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तीन मुक्तक - लक्ष्मण लडीवाला

मुक्तक 
एकाकीपन सांझ का, चंचल मन भटकाय
इस पड़ाव पर उम्र के,बनता कौन सहाय 
सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार 
साँस साँस की हर लड़ी,मुग्ध मुझे करजाय |

(2)
 
बिगड़ न जावे और ये, जीवन के हालात 
वर्षा जल भूजल करे, तभी बनेगी बात |
हरियाली वसुधा रहे, नदियों में जलधार,
पनघट प्यासे हो रहे,सुन मेरी यह बात |
 
(३)

नारी तू अबला नहीं, पूरे कर अरमान 
दोषी से कर सामना, अपनी ताकत जान 
रानी लक्ष्मी रूप को, एक बार कर याद 
माँ दुर्गा सी शक्ति को, अपने में पहचान | 
(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 2, 2013 at 7:15pm

मुक्तक सुन्दर बता कर मान देने के लिए हार्दिक आभार डॉ प्राची सिंह जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 2, 2013 at 10:02am

मुक्तक पसंद कर प्रशंसा करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरनीय श्री विजय निकोरे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 2, 2013 at 10:00am

मुक्तक की सराहना करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री रविकर जी,श्री राम शिरोमणि पाठक जी, और श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:42am

तीनों ही मुक्तक सुन्दर हुए है आ० लक्ष्मण प्रसाद जी \

शुभकामनाएं 

Comment by vijay nikore on July 2, 2013 at 5:26am

आदरणीय लक्ष्मण जी:

 

//सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार 
साँस साँस की हर लड़ी,मुग्ध मुझे कर जाय |//

 

सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by रविकर on July 1, 2013 at 7:34pm

बढ़िया है आदरणीय-`

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 1, 2013 at 7:32pm

आपकी टिपण्णी से लगा- नारी शक्ति का अहसास कराने में मेरा प्रयास सफल हुआ | आपका हार्दिक आभार

आदरणीया गीतिका "वेदिका" जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 1, 2013 at 7:30pm

मुक्तक की सराहना कर मनोबल बढाने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा "अनंत" जी |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 1, 2013 at 7:28pm

मुक्तक पसंद करने के लिए हार्दिक आभार श्री बसंत नेमा जी एवं श्री विजय मिस्त्र जी | 

Comment by ram shiromani pathak on July 1, 2013 at 7:27pm

बहुत  सुन्दर आदरणीय हार्दिक बधाई///////

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