For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत तीर्थ

 (कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविता से क्षमायाचना सहित कुछ पंक्तियों का हिन्दी भावानुवाद)
ओ मेरे मन जागो जागो

पुण्य तीर्थ में धीरे,

भारत के जन-मानस के
सागर तीर में.
यहाँ खड़े कर बाहु प्रसारित

नर-नारायण को नमन करुँ मैं,
उदार छन्द में परम आनन्द से,

उनका आज वंदन करुँ मैं.
ध्यानमग्न है यह धरती -

नदियों की माला जपती,

यहीं नित्य दिखती है मुझको

पवित्र यह धरणी रे -

भारत के जनमानस के सागर तीर में.
किसका था आवाहन, मानव
धारा में ऐसे लीन हुआ -

कौन जानता कहाँ से बह कर
सागर में विलीन हुआ.
यहाँ आर्य और यहीं अनार्य

यहाँ द्रविड़ व चीन,

शक, हूण, पठान, मुग़ल
सब हुए एक में लीन.
(अब) पश्चिम ने खोला है द्वार
लाते सब नाना उपहार,

आदान-प्रदान हो घुल-मिल जायें

हृदय के नीर में,

भारत के जनमानस के सागर तीर में.

(कवींद्र रवींद्र के 152 वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि – अप्रकाशित मौलिक रचना)
..........................शरदिन्दु मुकर्जी

Views: 3724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on May 15, 2013 at 6:52pm

अति सुन्दर! अति सुन्दर!! साझा करने के लिए धन्यवाद।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2013 at 4:47pm

उच्च वैचारिकता के कंगूरे से आवाज़ लगाती हुई पंक्तियो के लिए बधाई और इस रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ

सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on May 13, 2013 at 3:53pm

आदरणीय शरदिंदु जी क्‍या यह रविंद्र संगीत है, मुझे कुछ ऐसा ही लग रहा है, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on May 12, 2013 at 1:49am

धन्यवाद आदरणीय श्री कुशवाहा व केवल प्रसाद जी. मूल बांगला में कविगुरु ने लिखा था " हे मोर चित्तो पुन्नो तीर्थे जागोरे धीरे, एई भारोतेर महामानोबेर सागोर तीरे.." इस भाव को हिंदी में व्यक्त करना मेरा दु:साहस है, फिर भी ओ.बी.ओ. ने और आप लोगों ने इसे स्वीकारा, यह मेरा सौभाग्य है.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 11, 2013 at 11:31am

बहुत सुन्दर प्रयास और आज के परिवेश में भी सार्थक रचना।  बधाई स्वीकारें।   सादर,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 5:08pm

सादर बधाई 

आदरणीय महोदय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service