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सांप नाथ -नाग नाथ उवाच //कुशवाहा //

सांप नाथ -नाग नाथ उवाच 

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सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

कैसे आती है 

खून बहे रक्त नली में 

तारे टिमके जैसे जमी पर  

प्रेमियों को भाती है

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

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न आये तो क्या हो  करते

रात गुजर  कैसे  करते

जनता त्राहि त्राहि करती 

खेती किसानी करते डरती 

हमको  भी तो बतलाओ 

झूठ है या सच है बाती 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी 

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अपराधियों को खूब फब्ती   

गली सडक चौराहे पर 

मोमबत्तियां  हैं जलती 

राष्ट्र हित में उर्जा  बचती 

देता सब कोई  बधाई 

सुन लो अब मेरे भाई 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

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इतनी महंगी है क्यों फिर 

लोड टैरिफ लगे  है सिर

कम्पनी घाटे में दिखती 

रात अँधेरे में  कटती 

कैसी है बेशर्मायी 

मिल काटते नित मलाई 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

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बिजली का बिल वे न भरते

कटिया  कनेक्शन घर सजते 

कसो आन्दोलन करते 

बिल तुम्हारा भी तो बाक़ी 

स्टाफ संग क्या सगाई 

बिजली मंत्री हूँ भाई 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

४-५-२०१३ 

मौलिक /अप्रकाशित 

 

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2013 at 9:09pm

आ0 कुशवाहा जी, आपके  नाग नाथजी और सांपनाथ जी की मसखरी में मजा आ गया सर जी, बहुत बहुत हार्दिक  बधाई।  सादर,

Comment by manoj shukla on May 6, 2013 at 6:20pm
बिजली की दिक्कत जैसे मुद्दे पर सुन्दर प्रस्तुति....साँपनाथ नागनाथ के ज़रिए बात को और प्रभावशाली कर दिया है आपने आदर्णीय..बधाई स्वीकारें
Comment by coontee mukerji on May 6, 2013 at 5:41pm

मज़ा आ गया . सांपनाथ और नागनाथ का संवाद पढ़कर ./  आपकी लेखनी का अपना अलग ही लिखने का अंदाज़ है . सादर / कुंती .

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2013 at 1:54pm

आदरणीय प्रदीप जी सादर ग्रीष्म में भेदभाव पूर्ण  वितरण और  बिजली की आँख मिचोली पसीना निकालती है तब ऐसी रचनाओं का जन्म होता है. बहुत सुन्दर रचना. नेता जनता सभी बिजली का सही बिल चुकाएं तो यह समस्या ख़त्म हो सकती है किन्तु कोई भी ऐसी पहल को उत्सुक नहीं है. 

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