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भारी भरकम काया,है बड़ी विचित्र माया ,
खुद खाती ठूसकर ,मुझपे चिल्लाती है !
हुआ वजन सौ किलो ,फिर भी दम ना लेती ,
गुंडई तो देखो इसे ,डाइटिंग बताती है !!
खर्राटे जब लेती है,मानो भूकंप आ गया ,
पड़ोसियों की भी तब ,नींद टूट जाती है !
अपने को अल्पहारी ,मुझे कहती है पेटू ,
रसोई का आधा खाना,खुद चाट जाती है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 717

Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 11:47pm

आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी,  प्रिय मित्र सुन्दर हास्य व्यंग...हाहाहहह।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।   सादर,

Comment by ram shiromani pathak on April 18, 2013 at 11:44pm
Adarneey bhai sandeep ji hardik aabhar
Comment by ram shiromani pathak on April 18, 2013 at 11:43pm
Adarneeyaa vedika ji hardik aabhar
Comment by ram shiromani pathak on April 18, 2013 at 11:42pm
Adarneey lakxman sir hardik aabhar
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 9:52pm
बहुत सुन्दर प्रयास भाई राम जी
सादर बधाई
किन्तु देखिएगा कुछ इंगित कर रहा हूँ

चिल्लाती है ,
बताती है
जाती है
जाती है

अंतिम में यदि

रसोई का आधा खाना, वही खुद खाती है

कर दें फिर देखें
क्या इंगित सही किया है
Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 8:27pm

हा हा हा पड़ोसियों की भी तब ,नींद टूट जाती है   वाआआआआआआआह राम शिरोमणि जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 6:28pm

हुआ वजन सौ किलो ,फिर भी दम ना लेती ,
गुंडई तो देखो इसे ,डाइटिंग बताती है !!..............हाहाहा ऐसी डायटिंग 

बढ़िया हास्य प्रयास प्रिय राम शिरोमणि जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 6:16pm

अच्छी, बधाई श्री राम शिरोमणि जी 

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