For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंच के सामने आठ दस लोग कुर्सियों पर बैठे थे। सफेद झक कुर्ता पायजामा पहने छरहरे बदन का एक युवक मंच पर खड़ा भाषण दे रहा था, ‘आज हमारे देश को भगत सिंह के आदर्शों की जरूरत है……..।‘ भाषण खत्म होने पर संचालक ने घोषणा की, ‘थोड़ी ही देर में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारम्भ होंगे।‘

कुछ देर बाद एक युवती रंग बिरंगी वेशभूषा में मंच पर आयी और उसने एक गीत पर नृत्य आरंभ कर दिया ‘……चिकनी चमेली……’

भीड़ धीरे धीरे बढ़ने लगी थी।

सीटियां बज रही थीं।

भगत सिंह शहीद हो चुके थे। चमेली महक रही थी।

.

                                - बृजेश नीरज

 

Views: 885

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 9:38pm

Respected Coontee ji, Thanks for your comments!

Comment by coontee mukerji on March 25, 2013 at 8:21pm

brijesh jha ji, chemeli ka bhi koi jawab nahi , apka bhi kia observation hai.bravo !

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 6:42pm

Neelima ji आपका आभार!

Comment by Neelima Sharma Nivia on March 25, 2013 at 6:34pm

अह!.एक करारा
व्यंग

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 5:55pm

केवल भाई आपका आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 25, 2013 at 5:20pm

आदरणीय श्री बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जी, जितनी छोटी उतनी ही प्यारी रचना।
आपको बहुत बहुत बधाई।

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 5:16pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 5:06pm

राजेश जी आपका आभार!

Comment by ram shiromani pathak on March 25, 2013 at 1:45pm

बिल्कुल सटीक व्यंग किया है आपने  आदरणीय!

सुन्दर लेखन के लिए बधाई।
सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on March 25, 2013 at 12:52pm

सीटीयां जहां बजनी चाहिए वहीं अच्‍छी लगती है । ऐसे तमाम विरोधाभास अनेक जगहों पर हैं । हर सरस्‍वती पूजा में बीड़ी जलइले जरूर बजता है, छुटपन में हम भी तम्‍मा तम्‍मा लोगे या एक दो तीन बजाते थे क्‍योंकि हमारे लिए सरस्‍वती पूजन पूजनोत्‍सव ना होकर एक त्‍यौहार था, अब समझ में आया कि साधना और त्‍योहार अलग हैं, शायद यह बात हमने अभी भी बच्‍चों को सिखानी है । आपने सुंदर तरीके से इसे रेखांकित किया है, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
9 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service