For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेज धूप में छांव की आस है

रेत के बीच बढ़ रही प्यास है

 

हाथ में तीर और तलवार है

वो जो मेरे दिल के पास है

 

कथन के अर्थ को समझ लेना

अपनों की अपनों से खटास है

 

बाल धूप में सफेद होने लगे

तेरी उम्र में फिर क्या खास है

 

वो कल जिंदा था आज लाश है
विरोध उनको आता नहीं रास है

                       - बृजेश नीरज

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on February 26, 2013 at 5:58pm

वीनस जी आपका आभार। मेरे साथ एक समस्या है मैं गा नहीं पाता इसलिए मेरी रचनाओं में लय की कमी रहती ही है।

Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:25am

बहुत खूब
हार्दिक बधाई
मुझे लयात्मकता में कुछ कमी दिख रही है ...

शुभकामनाएं

Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2013 at 6:21pm

महोदया,
मैं हिन्दी व्याकरण में काफी कमजोर रहा हूं। लिखना सीख ही रहा हूं। अर्ध विराम, विराम जहां बहुत आवश्यक होता है प्रयोग करने का प्रयास करता हूं अन्यथा नहीं ही करता। यह अभी तक मेरे लेखन का ढंग रहा है। आपकी आपत्ति के बाद इसमें सुधार करने का प्रयास करूंगा लेकिन समस्या यह है कि एक कमजोर विद्यार्थी कितना और किन किन क्षेत्रों में सुधार कर सकेगा यह विचारणीय है।
सादर!

Comment by Vindu Babu on February 25, 2013 at 6:16pm
महोदय सादर अभिनन्दन!
क्षमा करें श्रीमान,मुझे लगता है काव्य अर्ध-विराम,विराम आदि चिन्हों से काव्य में और सुस्पष्टता आती है।
'बाल धूप मे सफेद होने लगे
तेरी उम्र में फिर क्या खास है'
सबसे प्रभावी पंक्ति।
बधाई आपको.
Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2013 at 5:33pm

Aarti Sharma ji आपका आभार!

Comment by Aarti Sharma on February 25, 2013 at 5:31pm

अपनों की अपनों से खटास है

बहुत खूब सर..बधाई

Comment by बृजेश नीरज on February 24, 2013 at 7:48pm

आदरणीय गणेश जी
कृपया संशोधन पर नजर डालें। बात कुछ बनती दिख रही है अथवा नहीं।
सादर!

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2013 at 7:08pm
विरोध की हिम्मत हो तो कर।
वो साहब का बहुत ही खास है॥
Comment by बृजेश नीरज on February 24, 2013 at 7:01pm

विन्ध्येश्वरी जी
आपका बहुत आभार! अभी तो यह तनाव है कि बागी जी के आपत्ति के बाद इस 'लाश' का क्या करूं।

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2013 at 6:49pm
बहुत ही उम्दा भाव है आदरणीय ब्रिजेश जी!बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
58 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service