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था उसके चेहरे पे सकून ,

था उसके चेहरे पे सकून ,
माँ का आया था फोन ,
पाँच सौ रुपया मिल गया ,
तीन सौ राशन वाले को दिया ,
बाकी में छोटे भाई का पैंट ,
संग में सिलवा दिया हैं शर्ट ,
आज स्कूल भेजा हैं उसको ,
खरीद कर दिया हैं स्लेट ,
भाई स्कूल गया ये जान कर ,
था उसके चेहरे पे सकून !

उम्र के दसवे साल में ,
काम करता चाय की दुकान में .
घर से दूर बहुत दूर ,
हो कर आया था मजबूर ,
सपना था कुछ आँखों में ,
बडपन थी उसकी बातो में ,
पापा के इंतकाल के बाद ,
उसकी पढ़ाई बन गई याद ,
कर के मेहनत मजदूरी ,
भाई को पढ़ने का जूनून ,
था उसके चेहरे पे सकून !

मगर वो चाय दुकान में ,
बेचारा कितना कमाएगा ,
सोचिये इस महगाई में ,
अपने भाई को कैसे पढ़ायेगा ,
पूज्य नेताओ अब तो देखो ,
ऐसे लोगों की तो सोचो ,
कोई छोटू क्यों बने ,
हे भगवान दे इनको जूनून ,
था उसके चेहरे पे सकून !

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