गाँव की विधवाओं को सरकार की ओर से सहायता राशि वितरित की जा रही थी. तभी एक नौजवान विधवा अपने हिस्से की धनराशि लेने मंच की ओर बढ़ी, जिसे देख नेता जी ने सरपंच के कान में धीरे कहा,
"ये लड़की कौन है ?"
"ये नंदू लुहार की बहू है नेता जी."
"अरे भई इसको तो बाकियों से ज्यादा पैसा मिलना चाहिए था."
"वो क्यों नेता जी ?"
"अरे मुखिया जी, ज़रा बॉडी तो देखिए ससुरी की."
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आपके उत्साह वर्धन का दिल से आभारी हूँ आद राजेश कुमारी जी।
सादर धन्यवाद आद मार्कंड दवे जी।
सादर धन्यवाद सीमा अग्रवाल जी।
ह्रदय से धन्यवाद रेखा जोशी जी।
आदरणीय सौरभ भाई जी, आपने रचना के मर्म को समझा और मेरा हौसला बढाया। आपको दिल से धन्यवाद कहता हूँ
भाई पियूष जी, दिल से आभार।
अग्रज लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी, सादर धन्यवाद
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, रचना पसंद करने हेतु दिल से आभार।
दिल से धन्याद भाई गणेश बागी जी।
आदरणीय प्रदीप सिंह कुशवाहा जी लघु कथा पसंद करने के लिए दिल से आभार।
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