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vicharniy
SUNDAR SHABD CHAYAN KE SATH SATH SUNDAR BHAVON KO PRASTUT KIYA HAI AAPNE .AABHAR
रचना निहित भावों को सराहने हेतु हार्दिक आभार राजेश कुमार झा जी
आदरणीया सीमा जी, यह रचना आपको पसंद आयी और इसके शब्द प्रयोग को आपने सार्थक जाना, यह जान ह्रदय को संतोष मिला है, इस प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार.
जिस भाव भूमि में इस रचना का सृजन हुआ उसे नमन । लगता है निराशा के पंक में डूबते-डूबते प्राण धूल झाड़ सहसा उठ खड़ा होता है और कहता है कि ' कर सको काल तो कवलित कर लो/ मैं खड़ा तेरा उपहास करूं/ पी गरल हलाहल जी भर कर/ मैं जीवन का अट्टहास करूं ।
नव्य चेतन
इस रचना के शब्दों को पसंद करने हेतु आपका हार्दिक आभार, पियूष कुमार पन्त जी
हिन्दी के खूबसूरत शब्दों के साथ सुंदर प्रस्तुति.........
आदरणीया राजेश कुमारी जी, इस रचना को पड़कर आपने सराहा और अपनी दुआएं प्रेषित कीं, इस हेतु आपका हार्दिक आभार.
जीवन स्वभाव की भिन्न भिन्न अवस्थाओं का बहुत गहन विश्लेषण /चित्रण किया है मनो दशा के ये उतार चढ़ाव जिन्दगी में समुद्री ज्वार भाटे की तरह ही रहें
स्थायित्व को प्राप्त न करें ---- बहुत बढ़िया बधाई आपको
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