For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीसरी दुनिया !!! -सतीश अग्निहोत्री

उस दुनिया के लोग ..

इस दुनिया में .

चंद हैं …..

हाँ यह तीसरी दुनिया …

मुझे पसंद हैं ..

हाँ मुझे पसंद हैं ..

वो तमाम उन्मुक्त

अनंत उड़न ..जिसका ..

न कोई सानी…

न कोई …पहचान ..

...भावनाओ का उफान ,

कल्पनाओ का जहाँ ..

जीवंत जीवन ..की चाह..

कभी न ले सके …

कोई जिसकी थाह …

वो आदि अनंत …

देख सके जिसे हर संत ..

वो अविरल प्रवाह ..

वो आनंद का जहाँ ..

वो स्पन्दंमय वाणी ..

जिसे कर सकू श्रवण ..

हर श्रंखला को ..

जिस तरह है बुना ..

नतमस्तक हूँ ..तेरे आगे

जो मुझे चुना …

रचनाकार -सतीश अग्निहोत्री

 

Views: 1073

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 9:55pm

उत्साहवर्धन के लिए आपको सादर धन्यवाद् ....Rekha Joshi ji

Comment by Rekha Joshi on September 21, 2012 at 6:56pm

सतीश जी ,

वो तमाम उन्मुक्त

अनंत उड़न ..जिसका ..

न कोई सानी…

न कोई …पहचान ..

...भावनाओ का उफान ,

कल्पनाओ का जहाँ ..

जीवंत जीवन ..की चाह.बहुत सुंदर है कल्पनाओं का जहान,अति सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई 

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 1:25pm

आपको भी भाया यह जहां जानकर ख़ुशी हुई !!!! आपका आभार ...rajesh kumari ji


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 1:18pm

ऐसा कल्पित जहां किसको नहीं भायेगा हमें भी ये तीसरी दुनिया पसंद है ..बहुत खूब ..बढ़िया प्रस्तुति 

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 12:53pm

बहुत बहुत धन्यवाद ...Laxman Prasad Ladiwala ji ..आपकी विवेचना एवं विचारों के लिए ......

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 21, 2012 at 11:55am

कल्पना जहान में आपका विचरण कर संतो की वाणी/भावों पर चिंतन अच्छा लगा |बगैर कल्पनाओं के और भावनाओ के प्रगति संभव नहीं, जीवन भी नीरस हो जाता है, सुंदर रचना हार्दिक बधाई श्री सतीश अग्निहोत्री जी,  

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 10:41am

शुक्रिया सीमा अग्रवाल जी ,जो भी लिखना चाहा है ...वो आप लोगो तक पहुँच  गया ...मुझे  ..अत्यंत हर्ष हुआ ...आप सभी की सराहना ...प्रेरणा बनकर.... कुछ और बेहतर करने को प्रेरित करती है .....

Comment by seema agrawal on September 20, 2012 at 11:25pm

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना सतीश जी अतुकांत होते हुए भी प्रवाह है भाव गुथे हए आगे बढ़ रहे हैं 
कल्पनाओं का जहां निश्चित ही इंसान की नितांत स्वयं की थाती ,अपने सुख दुःख ,हँसी-खुशी रिश्ते,पीड़ा हर कुछ वो अपने ढंग से जीता है ..एक अच्छी प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई 

एक बात ........आपने लिखा है कल्पनाओ का जहाँ .,वो आनंद का जहाँ ........यहाँ आपने जहां /जहान लिखना चाहा है 
जहाँ का अर्थ हो जाता है where

Comment by Satish Agnihotri on September 20, 2012 at 11:06pm

बहुत बहुत धन्यवाद ...आपकी सराहना के लिए ,आप जैसे पाठक पाकर बहुत ख़ुशी मिलती है !

सादर धन्यवाद ...Er. Ganesh Jee "Bagi" and Rajeev Mishra


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 20, 2012 at 10:37pm

//

हाँ मुझे पसंद हैं ..

वो तमाम उन्मुक्त

अनंत उड़न ..जिसका ..

न कोई सानी…

न कोई …पहचान .//

वाह वाह, अग्निहोत्री साहब, बहुत खूब, बड़ी ही प्यारी रचना, एक एक शब्द खूबसूरती से सजाई गई है, बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर, आगे भी आपकी और रचनाओं का और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके विचारों का इन्तजार रहेगा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service