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नेताजी (कुण्डलिया)
 

नेताजी का हो गया, कवियित्री से ब्याह,

नेतानी कविता लिखें, उनकी निकले आह,

उनकी निकले आह, सुनें जब भी वो दोहा,

लिखना विखना छोड़ पकाना सीखो पोहा,

चलो डार्लिंग किटी, रमी में जीतो बाजी,

समझाते हैं मस्त, नेतानी को नेताजी .......

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 9, 2012 at 7:32pm

आदरणीय सौरभ सर, इस प्रकार की रचना पहली बार लिखने का प्रयास किया है, यदि यह हास्य का पुट वास्तव में अच्छा है, तो मै आगे भी इस पर प्रयास ज़रूर करुँगी. इस शैली में रचना लिख मैं रचना के प्रति बहुत आश्वस्त नहीं थी. पर आप सबके अनुमोदन से प्रतीत हो रहा है, कि इस प्रकार सहज रूप से लिखना भी स्वयं में एक समृद्ध शैली है. आपके बेशकीमती सतत प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2012 at 6:54am

एक प्रश्न आदरणीय अम्बरीषभाईजी से -

सनातनी छंदों में मात्राएँ गिरायी जाती हैं ?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2012 at 6:53am

डॉ. प्राची, आपकी इस हास्य कुण्डलिया पर मेरी दृष्टि अभी पड़ी है इस हेतु मैं क्षमा चाहता हूँ. आपका छंद-प्रयास अभिभूत तो करता ही है, अपने विभिन्न आयामों से आश्वस्त तथा संतुष्ट भी करता है. यह खूबी विरले कोई रचनाकार जी पाता है. आपकी नम्र साहित्य-साधना इस मंच के साहित्य प्रेमियों के लिये सकारात्मक परिवर्द्धन है.

सादर

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 6:12am

सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 11:51am

वाह प्राची जी वाह बहुत खूब क्या बात है बधाई स्वीकारें

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 9:56am

सुप्रभात डॉ० प्राची जी ! आपका हार्दिक स्वागत है !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 7, 2012 at 9:54am

इस हास्य रचना को सराह उत्साह वर्धन करने के लिए व रोला के अंत पदों में वांछित सुधार करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अम्बरीश जी. सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 7, 2012 at 9:50am

आपका आभार आशीष यादव जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 7, 2012 at 9:50am

यह कुण्डलिया आपको रुचिकर लगी, यह जान कर बहुत अच्छा लगा आ. राजेश कुमारी जी, आपका हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 7, 2012 at 9:49am

धन्यवाद आ. अविनाश बागडे जी 

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