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रक्षा-बन्धन के दोहे........


सभी भाइयों और सभी बहनों को  अलबेला खत्री  की ओर से राखी के त्यौहार पर 

लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !


अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद

आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी  डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर

राखी के त्यौहार का,  आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान

गदगद हैं  माता-पिता, बच्चों में उत्साह  
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह

राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर

छोटी बहना बोलती,  तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल

बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन 

प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर

-अलबेला खत्री

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Comment

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Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 11:37pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय उमाशंकर जी..
सादर

Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 11:33pm

धन्यवाद  भाई संजय मिश्रा जी.....

Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 11:31pm

थुन्दल थुन्दल ........बओत थुन्दल लिता आपने  अलुन जी ,आपतो  बओत बओत आभाल

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 2, 2012 at 10:15pm

प्यारे अलबेला जी

बहुत सुन्दर दोहा रचा  है  रक्षा बंधन के पर्व के अवसर  पर

जैसे रक्षा बंधन के गीत बजते ही  इस त्यौहार  अहसास होने लगता है वैसे ही आपके ये दोहे इस पर्व की

अमर दास्ताँ बयां कर रही है

अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद

से

प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर

मन को भा गयो भाया ...बडो चोखो लाग्यो है गजब छे

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 2, 2012 at 6:49pm

बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन...

बहुत ही सुन्दर दोहे रचे हैं आदरणीय अलबेला भाई जी...

रक्षाबंधन पर्व पर सादर शुभकामनाएं स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 2, 2012 at 5:48pm

छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल

तुतले तुतले बोल में, मीती मीती बात

कानों में लस गोल दे,औल दिका दे दाँत |

अलबेला ने लित दिए, तुंदल दोए आज

अम बी तुतले ओ गए,त्यों ओते नालाज |

लच्चा बंदन ता मदुल, पावन ऐ त्यौआल

भाई बैना ता अमल, तदा लएगा प्याल ||

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:12pm

स्वागत है प्रभु .......:

Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 3:10pm

आपके वचन  शिरोधार्य है  प्रभु..........
अम्बरीश जी  आभार !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:05pm

आभारी हूँ आदरणीय अलबेला जी ! आपके दोहे पुष्ट छंद हैं मात्र तुकबंदी नहीं ....सादर 

Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 2:45pm

आदरणीय  अम्बरीश जी
धन्यवाद,,,,,,,,,,
आप जैसे छंदराज को मेरी तुकबंदी पसंद आई,  मेरे लिए बड़ी बात है

सादर

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