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कब सुनते
अतीत के सुस्वर
बीतती उमर

- - -

पीपल दादा
सुरसुराती हवा
उदास मन

- - -

झूमती जाती
सुनहली बालियाँ
पगली हवा

- - -

मैं एक नदी
गिरती औ उठती
आगे ही जाती

- - -

स्वर्ग सा सुख
ममता भरी छाँव
माँ की गोद में

- - -

सनता जाता
स्वार्थ के कीचड़ में
ये जग सारा

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Comment

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Comment by Neelam Upadhyaya on October 5, 2010 at 2:46pm
एक छोटा सा प्रयास है । मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत धन्यवाद नवीन जी ।
Comment by Neelam Upadhyaya on October 5, 2010 at 11:11am
जी धन्यवाद बागी जी ।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2010 at 10:12am
विश्व की सबसे छोटी कविता हाइकु होती है, कूल १७ शब्दों मे कविता कहनी होती है,
कब सुनते
अतीत के सुस्वर
बीतती उमर

यदि संयुक्त अक्षर एक माने जाते है तो "बीतती उमर" को "बीतती उम्र" लिख ५ के स्केल मे किया जा सकता है | बधाई नीलम दीदी इस खुबसूरत हाईकू के लिये ,

कृपया ध्यान दे...

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