For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे

लुटेरे वतन के वतन बेच देंगे
धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे

सजावट बनावट जिसे भा रही हो
कली फूल क्या है चमन बेच देंगे

अगर आँख खोली न अपनी अभी तो
फरेबी कलामो- रमन बेच देंगे

बनाया नहीं गर नया कुंड कोई
बली दे पुजारी हवन बेच देंगे

हटा ली निगाहें अगर झूठ से अब
शहादत निगल के कफ़न बेच देंगे

न दहशत न वहशत मिटेगी कभी भी
जमीं से सियासी अमन बेच देंगे

न फानूश अब तो खुदा भी रहा है
बुझा "दीप" आमिल पवन बेच देंगे

संदीप पटेल "दीप"

Views: 1638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 10:58pm

संदीप जी वाह !! बहुत खूब बधाई

Comment by Rekha Joshi on June 8, 2012 at 10:04pm

सजावट बनावट जिसे भा रही हो 
कली फूल क्या है चमन बेच देंगे ,badhiya rachna ,badhai 

Comment by आशीष यादव on June 8, 2012 at 7:36pm
वाह, जबरदस्त रचना।
Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 6:08pm

waah !

behtareen gazal

badhaai ho bhai Sandeep Patel DEEP ji...........

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 8, 2012 at 3:39pm

कसावट भरी गजल भ्रष्ट व्यवस्था,भ्रष्ट आचरण पर

बहुत ही  आक्रामक प्रयोग

गजल में ऐसा प्रयोग बेहतरीन है इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 8, 2012 at 2:15pm

उम्दा गज़ल , बहर का बहुत बढ़िया प्रयोग, ज़बरदस्त गज़ल रचना के लिए आपको बधाई ...........

 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 8, 2012 at 2:05pm

एकदम सच कहा है , आपने | मेरी एक कविता है , मई में लिखी थी , पर भूलवश पहले फेसबुक पर डाल दी थी | पूर्व प्रकाशित ओबीओ में नहीं प्रकाशित होता , इसलिए ओबीओ पर नहीं डाली | उसका एक पड़ आपको नजर है ..

हर  चेहरे पर नकाब चिपका हो ,

बड़ा वही जो बिकता हो ,

कितना नाम को रोईये ,

कितना ईमान को रोईये ,

अच्छी रचना के लिए बधाई |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 12:53pm

बहुत सुन्दर बात कही. अब बेचने पे आमादा हैं तो कुछ भी असंभव नहीं. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
35 minutes ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service