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एक गाना प्यार का ...

सांस  में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है  ताना बाना  प्यार का

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है  ज़माना  प्यार का

यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का

उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना  प्यार का

चीज  है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का

बैठे ठाले यों ही कुछ कुछ लिख दिया
ख़ुद-ब-ख़ुद बन बैठा गाना प्यार का 

है मुकद्दरमन्द जिसको मिल गया
ज़िन्दगी में गुनगुनाना प्यार का

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का

_______JAI HIND

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Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 1:49pm

आदरणीय  डॉ सूरज बाली "सूरज" जी,
मुझे आनन्द है इस बात का कि  आपको  पसन्द आई मेरी तुकबंदी.........यों ही स्नेह बनाए रखिये...आप जैसे  वरिष्ठों  का मार्गदर्शन हम नये रंगरूटों के  लिए  बड़ा महत्व रखता है .
सादर

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 30, 2012 at 1:29pm

क्या बात है अलबेला जी  बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने।  दिली दाद कुबूल करें। ये शेर के तो मशाल्लाह क्या कहने...मज़ा आ गया। मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी , आने वाला है  ज़माना  प्यार का॥

साभार !

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