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असीमित विस्तार 

ममता अपार

माँ का प्यार !

----------------

सुख की मेह

करुना सागर

माँ का नेह !

---------------

त्याग  वलिदान 

सुख की खान

"माँ" एक नाम !

-------------------

खुशियाँ किलकारी

सर्व दुःखहारी

माँ अति प्यारी !

----------------

मरू में छाया

अमृत धारा

माँ की माया !

------------------

दो कुल का कुल-दीपक

'लक्ष्मी'-जनती -कुल-दीपक

रचती -माँ-पिता-माँ  ही "एक" !

-----------------------------------

शिशु की जान

हम सब की  पहचान

माँ -एक नाम !

----------------------

 

देश की आन , बान ,शान

धरोहर , कला, विज्ञान

रच "शिशु" देती “माँ” अनोखा  दान  !

--------------------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

कुल्लू यच पी

१३.०५.२०१२ ८-८.२५ पूर्वाह्न

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Comment by Nilansh on May 13, 2012 at 5:28pm

bahut hi acche lage sabhi haiku

surendra ji bahut badhai

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2012 at 4:55pm

आदरणीय कुशवाहा जी आप की इस प्यारी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई ..सच में माँ अपने में हर गुण से आगर..परिपूर्ण तो है ही ..

रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी 
आभार 
भ्रमर ५  
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2012 at 3:50pm
आदरणीय भ्रमर  जी, सादर
अपने   में पूर्ण 
माता  पिता  
मिलकर सम्पूर्ण   
 
कष्ट    हरण
माता पिता 
सादर नमन  
आपको बधाई, मेरी अच्छी लगे तो मुझे देना बधाई.

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