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लघु कथा :- गिद्ध

"चल कल्लुआ जल्दी से दारु पिला, आज बहुत टेंसन में हूँ |"
"अरे, टेंसन और आप? आखिर ऐसी क्या बात हो गई बिल्लू दादा ? 
"यार, कल शाम जिस बूढ़े को हमने लूटा था न, उसने थाने में रपट दर्ज करा दी है |"
"तो दादा इसमें कौन सी टेंसन की बात है ?"
"टेंसन ये है कि हम ने तो कुल २१२ रुपये और एक पुरानी सी घड़ी ही लूटी थी, लेकिन उस बुढऊ ने दस हजार नगद, एक घड़ी और सोने की अंगूठी की रपट लिखवा दी है |"
"रपट लिखवा दी तो कौन सा आसमान टूट पड़ा ?" 
"आसमान ये टूट पड़ा है कल्लुआ कि अब ऊ ससुरा दरोगा, लूट में से आधा हिस्सा मांग रहा है |"

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2012 at 9:10pm

दुष्यंत जी, सराहना हेतु आपका आभार, स्नेह बनाये रखें |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2012 at 9:09pm

शैलेन्द्र मृदु जी, सराहना हेतु आभार |

Comment by दुष्यंत सेवक on May 3, 2012 at 11:20am

वाह वाह बागी जी.. इसे कहते हैं गलीचे के नीचे छुपी गर्द को उघाड़ना... बहुत ही सुन्दर लघुकथा है .. एक दम सटीक और सामयिक... बधाई स्वीकार करें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:15am

शुक्रिया श्रीमती वंदना गुप्ता जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:14am

बहुत बहुत आभार श्री अरुण पाण्डेय अभिनव जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:14am

बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, बड़ों द्वारा सराहा जाना और भी बढ़िया करने हेतु प्रेरित करती है |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:11am

आदरणीय प्रधान संपादक जी, आपके द्वारा सराहा जाना कई मायनों में खास है, क्योंकि लघु कथा की प्रेरणा मुझे आप से ही मिली है , बहुत बहुत आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:10am

बागडे साहिब , लघु कथा आपको पसंद आई , लेखन सार्थक हुआ , आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:09am

बहुत बहुत धन्यवाद आशीष भाई |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 3, 2012 at 11:09am

प्रिय वीनस लघु कथा को सराहने हेतु आभार तथा शीर्षक को सराहने हेतु डबल आभार :-)

कृपया ध्यान दे...

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