For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

.

मैं

और

तन्हाई

लड़ते रहते हैं

कभी बिखरते

कभी संवरते

रहते हैं.

ओ तन्हाई !

तुम क्यों

दुःख -पीड़ा को

रखती हो अपने साथ

फिरती हो यहाँ वहां

लिये हाथों में हाथ .

तन्हाई मुस्काई

कुछ इठलाई

बोली ...

बचपन की यादें

मोहब्बत के बातें

कहानी कहती नानी

रिमझिम बरसता पानी

पहली मुलाकात

महबूब की बात

उनका इतराना

रूठना मनाना

सब के सब

अंधेरों में खो जाते हैं

तन्हाई बगैर

याद नहीं आते हैं.

दिलों के रिश्ते जब

पुराने पड़ जाते हैं

कुछ समय की

चोट से सड़ जाते हैं.

तन्हाई

जब फैलाती है बाहें

तो खोल देती है

दिलों की बंद राहें .

मेरे मन

मेरे दोस्त

मेरा साथ कभी मत छोडना

ख़ुशी पानी हैं तो

तन्हाई का साथ

कभी मत छोडना

.

.

.

.

तन्हाई का साथ

कभी मत छोडना.

 

रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 12:43pm

सार्थक प्रयास हेतु सादर बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 11:57am

ख़ुशी पानी हैं तो

तन्हाई का साथ

कभी मत छोडना

सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति. बधाई.

Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on March 14, 2012 at 5:34pm

धन्यवाद सर्व श्री अरुण कुमार पाण्डेय जी , गणेशजी बागी जी ,संदीप दिवेदी जी ..आपके आशीर्वचन ..मेरा सौभाग्य ..साथ साथ चल रहे है मेरी जिंदगी में .

Comment by Abhinav Arun on March 14, 2012 at 1:38pm

सच कहा डॉ अजय जी तन्हाई में ही वो अवसर आता है जब हम अपने अतीत से बातें कर पाते है ... अपनी खुशियों और ग़म को खुद से ही साझा कर पाते है | मधुर अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक अबधाई ||


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 14, 2012 at 1:24pm

निश्चित ही गहराई तक अपनी छाप छोडने में सफल है यह रचना, दुःख ना हो तो सुख का महत्व समझ में नहीं आता उसी प्रकार तन्हाई भी आवश्यक है मिलन की याद को सहेजने के लिए, अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार हो ।

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 14, 2012 at 12:09pm

डॉ. साहब तन्हाई क्या क्या कहती है और क्या-क्या सहेज कर रखती है यह सब आपकी कविता बहुत सुन्दर ढंग से परिभाषित कर रही है| सुन्दर कविता के लिए हार्दिक बधाई..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service