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फूटा ठीकरा
शेख बच निकला
तू था मुहरा

 

ढूंढ़ बकरा
शनैः रेत लो गला
दे चारा हरा

 

बेजुबाँ खरा
हक माँगने लगा
तो दोष भरा

 

अना दोहरी
नश्तर सी चुभन
दगा अखरी!

 

यहाँ खतरा
ईश्वर हुआ अंधा
इन्सां बहरा

 

यार बिसरा
अब यहाँ क्या धरा
चलो जियरा

 

छटा कुहरा
छद्म बंधन मुक्त
पिया मदिरा

 

समा ठहरा
इंद्रधनुषी दुनिया
नशा गहरा

 

नेत्र बदरा
लगा झरझराने
रक्त बिखरा

 

नशा उतरा
आई घर की याद
बुझा चेहरा

 

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Comment

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Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 1:02pm

वाहिद जी, नमस्कार, आपको ये हाइकू पसंद आए,बहुत आभार.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 12:53pm

माननीय योगी जी, आपके कहे अनुसार फ़ॉन्ट का कलर और साइज़ ठीक कर दिया है. बहुत ही अच्छी सलाह के लिए धन्यवाद.

बात यह है की मई इस पर टाइप करने का अभ्यस्त नही हूँ, और हर बार "bade ai" की मात्रा नही लग रही है, देखिए "mai" का बार बार मई हो जा रहा है. इसलिए ही सवैया नही कह पाया था. घानाक्षरी भी ऐसे ही बिगड़ गई थी. क्षमा प्रार्थी हूँ.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:45pm

लाजवाब हाइकू राकेश जी| बधाई|


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 12:35pm

भाई राकेश त्रिपाठी जी, यदि इस हाइकू को यूं कहा जाये तो कैसा रहेगा? 

आना दोहरी

नश्तर सी चुभन 

दगा अखरी

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 11:57am

सुंदर  रचना बधाई स्वीकार करें 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 3, 2012 at 11:22am

अना दोहरा
नश्तर सा चुभता
दगा अखरा!

snehi rakesh ji, prasann rahen.

ana dohra .. kise kahte hain..?

sundar bhav (ghav), good prastuti.

badhai.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 11:12am
भाई राकेश त्रिपाठी जी, आपके हाइकु पढ़ कर आनंद ही आ गया. आप ने जिस तरह इन्हें तुकांत के साथ कहा है, उस से इनमे गज़ब कि गेयता आ गई है. मैं आपको दिली बधाई देता हूँ इस शाहपारों पर. नींम हाइकु की तीसरी पंक्ति पर ज़रा ध्यान दें, "दगा अखरा" व्याकरण की दृष्टि से सही नहीं. 
.
//अना दोहरा
नश्तर सा चुभता

दगा अखरा!
//
.
एक अनुरोध और करना चाहूँगा, अपनी रचना को रंग-बिरंगे फॉण्ट मत दिया करें और न ही फॉण्ट का साइज़ ही बड़ा किया करें. क्योंकि आपकी रचनाएँ  इतनी उत्तम होती है कि ये मसनूई रंगत कुछ बेमजा सा पैदा कर देती है. 

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