For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फूटा ठीकरा
शेख बच निकला
तू था मुहरा

 

ढूंढ़ बकरा
शनैः रेत लो गला
दे चारा हरा

 

बेजुबाँ खरा
हक माँगने लगा
तो दोष भरा

 

अना दोहरी
नश्तर सी चुभन
दगा अखरी!

 

यहाँ खतरा
ईश्वर हुआ अंधा
इन्सां बहरा

 

यार बिसरा
अब यहाँ क्या धरा
चलो जियरा

 

छटा कुहरा
छद्म बंधन मुक्त
पिया मदिरा

 

समा ठहरा
इंद्रधनुषी दुनिया
नशा गहरा

 

नेत्र बदरा
लगा झरझराने
रक्त बिखरा

 

नशा उतरा
आई घर की याद
बुझा चेहरा

 

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 1:02pm

वाहिद जी, नमस्कार, आपको ये हाइकू पसंद आए,बहुत आभार.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 12:53pm

माननीय योगी जी, आपके कहे अनुसार फ़ॉन्ट का कलर और साइज़ ठीक कर दिया है. बहुत ही अच्छी सलाह के लिए धन्यवाद.

बात यह है की मई इस पर टाइप करने का अभ्यस्त नही हूँ, और हर बार "bade ai" की मात्रा नही लग रही है, देखिए "mai" का बार बार मई हो जा रहा है. इसलिए ही सवैया नही कह पाया था. घानाक्षरी भी ऐसे ही बिगड़ गई थी. क्षमा प्रार्थी हूँ.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:45pm

लाजवाब हाइकू राकेश जी| बधाई|


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 12:35pm

भाई राकेश त्रिपाठी जी, यदि इस हाइकू को यूं कहा जाये तो कैसा रहेगा? 

आना दोहरी

नश्तर सी चुभन 

दगा अखरी

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 11:57am

सुंदर  रचना बधाई स्वीकार करें 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 3, 2012 at 11:22am

अना दोहरा
नश्तर सा चुभता
दगा अखरा!

snehi rakesh ji, prasann rahen.

ana dohra .. kise kahte hain..?

sundar bhav (ghav), good prastuti.

badhai.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 11:12am
भाई राकेश त्रिपाठी जी, आपके हाइकु पढ़ कर आनंद ही आ गया. आप ने जिस तरह इन्हें तुकांत के साथ कहा है, उस से इनमे गज़ब कि गेयता आ गई है. मैं आपको दिली बधाई देता हूँ इस शाहपारों पर. नींम हाइकु की तीसरी पंक्ति पर ज़रा ध्यान दें, "दगा अखरा" व्याकरण की दृष्टि से सही नहीं. 
.
//अना दोहरा
नश्तर सा चुभता

दगा अखरा!
//
.
एक अनुरोध और करना चाहूँगा, अपनी रचना को रंग-बिरंगे फॉण्ट मत दिया करें और न ही फॉण्ट का साइज़ ही बड़ा किया करें. क्योंकि आपकी रचनाएँ  इतनी उत्तम होती है कि ये मसनूई रंगत कुछ बेमजा सा पैदा कर देती है. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा को मान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय, मिथिलेश जी। "
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service