इन आंखों की गहराई में,
डूबा दिल दीवाना है.
मस्ती को छलकाती आंखें,
मय से भरा पैमाना हैं.
ये आंखें केवल आंख नहीं हैं ,
ये तो मन का दर्पण हैं .
दिल में उमड़ी भावनाओं का,
करती हर पल वर्णन हैं.
ये आंखे जगमग दीपशिखा सी ,
जीवन में ज्योति भरती हैं.
भटके मन को राह दिखाती,
पथ आलोकित करती हैं.
इन आंखों में डूब के प्यारे,
कौन भला निकलना चाहे.
ये आंखे तो वो आंखे हैं ,
जिनमें हर कोई बसना चाहे.
.
प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण'
Comment
स्वागतम स्वागतम ....
//ये आंखें केवल आंख नहीं हैं ,
ये तो मन का दर्पण हैं .//
भाई प्रदीप जी ! आँखों को सही तरीके से परिभाषित करने के लिए बधाई मित्र !
ये आँखें मन का दर्पण है...............सही ही तो कहा , कहा जाता है कि आखें सब कुछ बोलती है, अच्छी रचना बधाई आपको ।
bahut sundar .. kahani kahti hui aanken jindgani kahti hui aankhen
श्लाघनीय प्रयास. प्रयासरत रहें दर्पणजी. आपकी प्रस्तुत भाव-रचना पर साधुवाद.
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