For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंदाज़ क्या खूब हैं उनकी नज़रों के या रब,

किस अंदाज़ से वो नज़र अंदाज़ किया करते हैं |
                    -x-
अदा होती गयीं ज्यों-ज्यों वफ़ा की किश्तें,
और भी साफ़ होते गए स्वार्थ के रिश्ते |
                    -x-
एक बस में बैठ, माँ तो चली गयी अपने घर,
मेरा मन अब भी रोता भटकता, बस-स्टैंड पर |
                    -x-
दिन भर भटकता रहा मन एक व्यथित-पथिक सा,
शाम को थक कर बैठ गया मन, शोषित दलित सा |
                   -x-
पलकें उठाओ के सुबह चले, अब मान भी जाओ के सुबह चले,
कब तलक रूठे रहोगे हमसे तुम, ज़रा तो मुस्कुराओ के सुबह चले |

© AjAy Kum@r

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 9:15am

बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी हौसला अफजाही  के  लिए... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2012 at 8:51am
अदा होती गयीं ज्यों-ज्यों वफ़ा की किश्तें,
और भी साफ़ होते गए स्वार्थ के रिश्ते |
       bahut umda sher....bahut achche sher likhe hain aapne daad kabool karen.
Comment by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:44am

बहुत बहुत शुक्रिया परम आदरनिये योगराज जी,  सतीश जी , सौरभ जी...

मैं आभारी हूँ आपका  ...
Comment by satish mapatpuri on January 8, 2012 at 1:15am

अंदाज़ क्या खूब हैं उनकी नज़रों के या रब,

किस अंदाज़ से वो नज़र अंदाज़ किया करते हैं |
बहुत खूब अजय जी ............... दाद कुबूल करें

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 7, 2012 at 10:46pm

पहले शे’र की मुलामियत ने वाकई मन मोह लिया. बहुत-बहुत बधाई  अजयजी.

 

 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2012 at 9:12pm

//अंदाज़ क्या खूब हैं उनकी नज़रों के या रब,

किस अंदाज़ से वो नज़र अंदाज़ किया करते हैं |//
.
अय हय हय हय अजय भाई - वाह . 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service