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हिमाचल के लेखक जयदेव 'विद्रोही' दिल्ली में महाकवि कालिदास सम्मान से अलंकृत

प्रैस रिपोर्टर : कुमुद शर्मा

रविवार की रात्री को देव प्रबोधनी एकादशी के अवसर पर त्रिवेणी कला संगम सभागार स्थित तानसेन मार्ग मंडी हॉउस नई दिल्ली में अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच द्वारा महाकवि कालीदास समारोह आयोजित किया गया जिस के मुख्य अतिथि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त डाo जीo वीo जीo कृष्ण मूर्ती थे I त्रिवेणी हाल दर्शकों ,मिडिया,पत्रकारों,कलाकारों से खचाखच भरा हुआ था I इस कार्यक्रम में भारतवर्ष की प्रतिभाओं को महाकवि कालिदास सम्मान से अलंकृत किया गया सम्मान वितरण समारोह में डाo जीo वीo जीo कृष्णमूर्ति तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व राज्यपाल श्री भीष्म नारायण सिंह,अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण सिंह सवतंत्र ,जर्नलिस्ट टुडे नैटवर्क प्रनुख श्री योगराज शर्मा जी की भूमिका उल्लेखनीय रही I
देश के कोने कोने से आई बिभिन्न सम्मानों की श्रृंखला के अतिरिक्त महाकवि कालिदास सम्मान से अलंकृत किये जाने वाली देश की प्रतिभाओं के नाम इस प्रकार हैंI
राम प्रकाश गोयल बरेली से,जयदेव 'विद्रोही' हिमाचल,आरo ड़ीo अग्रवाल मुंबई ,बंदना सक्सेना भोपाल,मंगल नसीम,संतोष कुमार गर्ग,पीo एसo शाक्य दिल्ली
पत्रकारिता के इस साहित्य कला एवं गरिमा मय सम्मान वितरण समारोह में शिक्षा समाज सेवा महिला शक्ति सम्मान भी वितरित किए गए I
कार्यक्रम में रोचक पक्ष प्रस्तुत करते हुए मंच संचालक रामानुज सिंह सुन्दरम के वक्तव्य से कौतुहल तब हुआ जब यह घोषणा की गई की इस कार्यक्रम में शामिल एक साथ तीन पीढ़ियों का संयोग देखने को मिल रहा है I
साहित्य कला और संस्कृति से जुड़े जहाँ आर्थर्स गिल्ड ऑफ हिमाचल के संस्थापक अध्यक्ष जयदेव 'विद्रोही' मौजूद थे जिन्हें महाकवि कालिदास सम्मान अर्पित किया जा रहा थाI वहां उनके लेखक बेटे दीपक शर्मा 'कुल्लुवी' जिन्हें इसी मंच से 2009 का सरस्वती साहित्य रतन अवार्ड मिल चुका है और दीपक कुल्लुवी की बेटी कत्थक नृत्यांगना 'दीपाली' वहां कत्थक नृत्य प्रस्तुत कर रही थी तो वहीँ पर उपस्थित था 'विद्रोही' जी का पौत्र शास्त्रीय संगीतज्ञ दीपांकर I इस जानकारी के मिलते ही जहाँ त्रिवेणी सभागार तालियों से गूँज उठा वहां विद्रोही से मिलने वाले कार्यक्रम के अंत में उनको अच्छी खासी प्रशंसकों की भीड़ से घिरे साथ में फोटो खिंचवाते देखा गयाI
इस सम्मान का एक उज्जवल पक्ष यह रहा की हिमाचल के लेखक जो वहां उपस्थित थे सभी उत्साहित पाए गए I
अपने साहित्यिक बिरोधियों के बारे में विद्रोही जी का कहना है की प्रतिभा किसी के शब्दों की मोहताज नहीं होती प्रतिभा खुद बोलती है खुद अपनें रास्ते बनाती है बस आपमें मेहनत,हिम्मत,लगन और जनून होना चाहिए I बिना कर्म किये कभी फल नहीं मिलता I अगर आपमें काबलियत है तो दुनिया आपको मानेगी अन्यथा दुत्कार देगी I
अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण सिंह सवतंत्र जी ने कार्यक्रम का उद्घघाटन ,शुभारम्भ कुल्लू हिमाचल प्रदेश से आए जयदेव विद्रोही जी के हाथों से ही फीता कटवा कर और सरस्वती दीप प्रज्व्वालित करावा कर करवा कर किया I

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