For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक कविता: बाजे श्वासों का संतूर..... संजीव 'सलिल

बृहस्पतिवार, ६ अक्तूबर २०११

एक कविता:
बाजे श्वासों का संतूर.....
संजीव 'सलिल'
*
मन से मन हिलमिल खिल पायें, बाजे श्वासों का संतूर..
सारस्वत आराधन करते, जुडें अपरिचित जो हैं दूर.
*
कहते, सुनते, पढ़ते, गुनते, लिखते पाते हम संतोष.
इससे ही होता समृद्ध है, मानव मूल्यों का चिर कोष...
*
मूल्यांकन करते सहधर्मी, टीप लिखें या रहकर मौन.
लिखें न कुछ तो मनोभावना, किसकी कैसी जाने कौन?
*
लेखन नहीं परीक्षा, होना सफल नहीं मजबूरी है.
अक्षर आराधन उपासना, यह विश्वास जरूरी है..
*
हर रचना कुछ सिखला जाती, मूल्यांकक होता निज मन.
शब्दब्रम्ह के दर्शन होते, लगे सफल है अब जीवन..
*
अपना सुख ही प्रेरक होता, कहते हैं कवि तुलसीदास.
सधे सभी का हित, करता है केवल यह साहित्य प्रयास..
*
सत-शिव-सुंदर रहे समाहित, जिसमें वह साहित्य अमर.
क्यों आवश्यक हो कि तुरत ही, देखे रचनाकार असर..
*
काम करें निष्काम, कराता जो वह आगे फ़िक्र करे.
भाये, न भाये जिसे मौन हो, या सक्रिय हो ज़िक्र करे..
*
सरिता में जल आ बह जाता, कितना कब वह क्या जाने?
क्यों अपना पुरुषार्थ समझकर, नाहक अपना धन माने??
*
यंत्र मात्र हर रचनाधर्मी, व्यक्त कराता खुद को शब्द.
बिना प्रेरणा रचनाधर्मी, हमने पाया सदा निशब्द..
*
माया करती भ्रमित जानते हम, बाकी अनजान लगे.
नहीं व्यक्त करते जो उनके, भी मन होते प्रेम-पगे..
*
जड़ में भी चेतना बसी है, घट-घट में व्यापे हैं राम.
कहें कौन सा दुख ऐसा है, जिसमें नहीं रमे सुखधाम??
*
देह अदेह विदेह हो सके, जिसको सुन वह लेखन धन्य.
समय जिलाता मात्र उसीको, जो होता सर्वथा अनन्य..
*
चिर नवीन ही पुरा-पुरातन, अचल सचल हो मचल सके.
कंकर में शंकर लख मनुआ, पढ़ जिसको हो कमल सखे..
*
घटाकाश या बिंदु-सिंधु के बिम्ब-प्रतीक कहें जागो.
शंकाओं को मिल सुलझाओ, अनजाने से मत भागो..

राम हराम विराम न हो, अभिरान और अविराम रहे.
'सलिल' साथ जब रहे सिया भी, तभी पिया गुणग्राम रहे..
*
माया-छाया अगर निरर्थक तो विधि उनको रचना क्यों?
अगर सार्थक हर आराधक, कहें दूर हो बचता क्यों??
*
दीप्ति तभी देता है दीपक, तले पले जब अँधियारा.
राख आवरण ओढ़ बैठता, सबने देखा अंगारा..
*
सृजन स्वसुख से सदा साधता, सर्व सुखों का लक्ष्य सखे.
सत-चित-आनंद पाना-देना, मानक कवि ने 'सलिल' रखे..
*
नभ भू सागर की यात्रा में, मेघ धार आगार 'सलिल'.
निराकार-साकार अनल है, शेष जगत-व्यापार अनिल..
*

Views: 339

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service