For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या होती हैं ये यादें

यादें क्यों याद आती हैं
क्यों होती हैं ये यादें
क्या कहना चाहती हैं ये यादें
क्यों तड़पाती हैं ये यादें
क्यों याद आती हैं ये यादें
क्यों ना भुला कर भी भुला पाती हैं ये यादें
क्यों बार बार भिगो देती हैं नयनो को ये यादें
क्यों दुख देती हैं ये यादें
क्यों कमजोर बनाती हैं ये यादें
क्यों भावुक बनाती हैं ये यादें
क्यों धुंधली हो कर भी गायब नही होती हैं ये यादें
क्यों मिटाए ना मिटती हैं ये यादें
क्यों लौट आती हैं धुंधली यादें भी
क्यों कड़वाहट होती है कुछ यादों में
क्यों कुछ यादें दर्द के निशान छोड़ जाती हैं
क्यों तीर की तरह चुभती हैं यादें
क्यों सताती हैं ये यादें
क्यों दोहराती है वक़्त क साये को
क्यों बेवक़्त अतीत दोहराती हैं ये यादें
क्यों अतीत के साये से पीछा ना छुड़ाने देती हैं ये यादें
क्यों यादों के गम के सागर मे डुबो देती हैं ये यादें
क्यों पागल बना देती हैं यादें अगर अतीत के गम से ना उबर पाए कोई
क्यों यादें निर्जीव होती हैं
क्यों नही होता कोई अस्तिव इन यादों का
क्यों सजीव नही होती ये यादें
क्यों इन यादों को जीना का सहारा कहा जाता है
जबकि ये तो गमों का भवसागर है
कुछ के लिए जीने का मकसद
कुछ के लिए बदले की भावना
कुछ के लिए जीती जाती तस्वीर
कुछ के लिए कड़वी यादें सफलता का सूत्र
बेरंग सी हैं ये यादें
किसी के लिए दर्द हैं ये यादें
किसी के पास फीकी यादें भी होती हैं,लेकिन क्या उन फीकी यादों का कोई अस्त्तिव होगा
किसी के लिए जिंदगी की नई उमीद, नई किरण ,नई आशा ,नये होसले ,नये उड़ाने
अतीत की हुई भूलों को सुधारने का मौका देती है ये यादें
पुराने अनुभवों से सीखा कर जीवन नये की राह दिखाती हैं ये यादें
कोई इसे जीवन जीने की मिठास मानता है
कोई इसे अतीत के बीते हुए मीठे लम्हो से आनंदमय होने का बहाना बताता है
आख़िर क्या होती है ये यादें
क्यों होती हैं ये यादें
बड़ी अजीब होती हैं यादें
हर याद का अपना एक नया स्वरुप है
बस यादें ,यादें ही रह जाती हैं
बस यादें ही याद आती आती हैं

Views: 1053

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on August 3, 2011 at 7:49pm

waah,

aakhir yaadon ki yaad me aapne un sb ko shamil kar diya kiske liye kya hai yaade. kisko achchhi lgti hai, kisko buri lagti hai. bahut kuchh.

ha bagi ji ne sahi kaha ki b hawnatmak hai.

badhai.

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on July 31, 2011 at 5:10pm

Awesum


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 31, 2011 at 5:09pm

अभिव्यक्ति भावनात्मक ज्यादा है, बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service