For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देना कब सीखेंगे हम-कविता

नदी जीवन देती है
नदी पालती है
नदी सींचती है
नदी बहना सिखाती है
नदी सहना सिखाती है
नदी बदलाव समझाती है
नदी ठहराव समझाती है
नदी हंसना सिखाती है
नदी अंत तक साथ देती है.

पहाड़, धरती, प्रकृति भी
हमें यही सब सिखाते हैं,
लेकिन हम क्या कर रहे हैं?
हम नदी को धीरे धीरे,
तिल तिल कर मार रहे हैं,
हम अपना सारा कचरा
बेदर्दी से इसमें उड़ेल रहे हैं,
हम प्रकृति को बर्बाद कर रहे हैं
हम धरती को बंजर बना रहे हैं
हम पहाड़ों को जर्जर बना रहे हैं.

हम सिर्फ लेना जानते हैं
हमें देना सीखना है
इन शांत नदियों से,
इन अटल पहाड़ों से,
इस धारिणी धरती से,
इस अनमोल प्रकृति से,
और जिस दिन हम
इन्हें देना सीख जाएंगे
उस दिन हमारी यह दुनिया
खूबसूरत, बेहद खूबसूरत
और खुशनुमा बन जायेगी.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 31, 2021 at 8:56pm
इस बेहतरीन टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ सुचिसंदीप अग्रवालल जी
Comment by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on May 31, 2021 at 7:51pm

वाहः विनय कुमार जी अति सराहनीय भावों से सुसज्जित आपकी रचना वास्तव में हम सबके लिए अनुकरणीय है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अमित जी बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझाने बताने के लिए सुझाव से मतला ख़ूब हुआ ,बाकी…"
8 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी एवं सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। द्वेष हर दिल से मिटा कर…"
28 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। 2122 1122 1122 22 घर…"
48 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार…"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल अच्छी हुई है। गुणीजनों के सुझाव से इसमें और निखार आया है। हार्दिक…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय निलेश जी, आप हमेशा ही अच्छी ग़ज़ल लिखते है। इस बार भी आपकी ग़ज़ल का कोई सानी नहीं है। मेरी…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल सुदर एवं सामयिक है। अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
" और, हाँ, जनाब,  गिरह सम्बंधित आपक सुझाव भी शत-प्रतिशत प्रशंसनीय है ! मगर  कारण वही…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय,  यूफोनिक  आदरणीय, यूफोनिक अमित जी, शुभ प्रभात, मैंने आपकी समीक्षा अभी देखी,आप से…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service