आणविक अनुप्रस्थान लघु कथा
वेदना से संवेदना हो तो मानवीय प्रकल्प उपजता है ऐसा मेरा सोचना था , तुम क्या सोचती हो इसी विषय में मैं अनभिज्ञ था , फिर एक दिन तुम बिना बताये कहीं चली गई। आभास था जाओगी और वो आभास प्रकटतः घटित भी हुआ। मुझे लेकिन इस अजन्मे विरह का अभ्यास किंचित न था सो मैं खिन्नता से खिसियानी बिल्ली अर्थात बिल्ले सा भ्रमित मन से एकांत में उतर गया। अब तक अपने जीवन काल में मुझे एक बात अच्छे से ज्ञात हो गई थी तुम्हारे साथ रह कर भी और सीख कर भी। यही के यदि हम आत्मिक रूप से किसी से जुड़ते हैं तो ये एक तरफा सम्पर्क स्पंदन उतपन्न करता है पहले क्षीण शक्ति के फिर सतत माध्यम से मध्यम फिर उदात्त *आणविक अनुप्रस्थान * प्रतीति स्वरूप।
और हुआ भी ऐसे ही मैंने सामाजिक लोकाचार के किसी संसाधन का लाभ न लेकर सिर्फ अपने इष्ट से प्रार्थना की। अद्भुत चमत्कार हुआ। तुमने नारी सुलभ शिकायत करते हुए मैसेज किया। मुझे चाहते भी हो और परेशान भी करते हो ये कैसा प्रेम। आते क्यों नहीं मनाने , मुझे तुम्हारी मनुहार लुभाती है मुझे अपना नारीत्व सहज प्राप्त मुखरित फ़लित व् प्रभावशाली लगने लगता है मैं कल्पना में अपनी सम्पूर्णता की गेयता को स्थापित होते हुए देख पाती हूँ। मैं तुमसे दूर परखने के लिए गई थी निष्ठुर।
बस, मेरे अंदर का पुरुष पिघलने लगा पढ़ते पढ़ते मैं रोने लगा बिखर गया प्रभु चरणों में पल पल बिखरता ही गया उसके प्रेम भाव में कृतज्ञ सा अबोध सा। आज फिर उसने साबित किया अपनी उपस्थिति को हमारे अंदर। ॐ ॐ ॐ एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त
* मौलिक व अप्रकाशित" *
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online