For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rekha Joshi's Blog (31)

व्याजोक्ति [लघु कथा ]

आलोक की बहन रीमा के पति के अचानक अपने घर परिवार से दूर पानीपत में हुए निधन के समाचार ने आलोक और उसकी पत्नी आशा को हिला कर रख दिया |दोनों ने जल्दी से समान बांधा ,आशा ने अपने ऐ टी म कार्ड से दस हजार रूपये निकाले और वह दोनों पानीपत के लिए रवाना हो गए ,वहां पहुंचते ही आशा ने वो रूपये आलोक के हाथ में पकड़ाते हुए कहा ,''दीदी अपने घर से बहुत दूर है और इस समय इन्हें पैसे की सख्त जरूरत होगी आप यह उन्हें अपनी ओर से दे…
Continue

Added by Rekha Joshi on July 23, 2012 at 10:48pm — 25 Comments

सितमगर

तकदीर पर विशवास तो नही मुझे ,

आये क्यों हो मेरी जिंदगी में तुम ,

निभाया सदा साथ तुम्हारा लेकिन ,

दर्देदिल के सिवा क्या मिला मुझे|

.........................................

भुला कर हमने हर सितम तुम्हारे ,

साथ निभाने का क्यों वादा किया ,

हद हो गई अब ज़ुल्मो सितम की ,

प्यार में तो हमने धोखा ही खाया |

.........................................

निभा न सके जब तुम वफ़ा को ,

चुप रहे फिर भी खातिर तुम्हारी ,

दफना दिया सीने में ही दर्द को ,

उफ़ तक न की…

Continue

Added by Rekha Joshi on July 11, 2012 at 1:33pm — 17 Comments

बेवफाई

जिनके लिए हमने दिल औ जान लुटाई .

मिली  सिर्फ  उनसे हमको है  बेवफाई |
...............................................
सजदा किया उसका निकला वो हरजाई ,
मुहब्बत के बदले पायी  हमने रुसवाई |
...............................................
धडकता है दिले नादां सुनते ही शहनाई,
पर तक़दीर से हमने तो  मात  ही खाई |
................................................
न भर नयन तू आग तो दिल ने…
Continue

Added by Rekha Joshi on July 5, 2012 at 8:30pm — 14 Comments

साहस

नीले नभ पर .,

उड़ चले पंछी ,
इक लम्बी उड़ान,
संग साथी लिए ,
निकल पड़े सब,
तलाश में अपनी ,
थी मंजिल अनजान .
अनदेखी राहों में 
जब हुआ सामना, 
था भयंकर तूफ़ान 
घिर गए चहुँ ओर से , 
और फ़स गए वो सब ,
इक ऐसे चक्रव्यूह में ,
अभिमन्यु की तरह ,
निकलना था मुश्किल ,
पर बुलंद…
Continue

Added by Rekha Joshi on July 4, 2012 at 2:56pm — 19 Comments

अर्धांगिनी [लघु कथा ]

आरती और वैभव के बीच  में कल रात से ही झगड़ा चल रहा था ,मुद्दा वही उपर की आमदनी का ,जिसे आरती अपने घर में  कदापि भी खर्च करना नही चाहती थी | वैभव ने अपनी पत्नी  आरती को पैसे की अहमियत के बारे में बहुत समझाया और बताया कि उसके दफ्तर  में सब मिल बाँट कर खातें है लेकिन आरती के लिए रिश्वत तो पाप कि कमाई थी , वैभव के लाख समझाने पर भी जब आरती नही मानी तो गुस्से में उसने आरती से साफ़ साफ़ कह दिया था कि अगर आरती ने इस मुद्दे पर और बहस की तो वह उससे  सदा के लिए सम्बन्ध विच्छेद कर…

Continue

Added by Rekha Joshi on June 28, 2012 at 11:42am — 4 Comments

बिंदिया [लघु कथा ]

मीनू की डोली जब प्रशांत के घर के आगे रुकी तो दरवाजे पर पूजा की थाली लिए शिखा खड़ी थी | शिखा ने आगे बढ़ कर अपने प्यारे भैया प्रशांत और अपनी प्यारी सखी जो आज दुल्हन बनी ,भाभी के रूप में उसके सामने  खड़ी थी ,आरती उतार कर स्वागत किया |बर्तन में भरे हुए चावल को अपने पैर से बिखराते हुए ,पूरे रीति रिवाज के अनुसार मीनू ने अपने ससुराल में प्रवेश किया |पूरा घर खुशियों से चहक उठा ,शिखा ने मीनू को गले लगाते हुए कहा ,''आज तुम्हारा पांच साल से परवान चढ़ता हुआ प्रेम सफल हुआ ,मै जानती हूँ तुम और…

Continue

Added by Rekha Joshi on June 7, 2012 at 5:25pm — 23 Comments

मानव न बन सका मनुज

यह कविता मेरे पापा की लिखी हुई है और मै इसे उनकी सहमती से पोस्ट कर रही हूँ |

मै ही तो एक नही हूं ऐसा,
मुझ से पहले भी लोग बड़े थे :
जिन को तो था संसार बदलना ,
अंधेरों में जो लोग खड़े थे :
उन लोगों में मेरी क्या गिनती ,
मुझ से तो वे सब बहुत बड़े थे :
खा कर भी हत्यारे की गोली ,
गांधी जी कितने मौन पड़े थे :
और अहिंसा हिंसा ने खाई ,
था नफरत ने ही प्यार मिटाया :
प्यार…
Continue

Added by Rekha Joshi on June 4, 2012 at 11:14am — 14 Comments

विश्वासघात [कहानी ]

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में एक छोटा सा गाँव सुन्नी  ,हिमालय की गोद में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इस गाँव के भोले भाले लोग ,एक दूसरे के साथ मिलजुल कर प्यार से रहते थे | इसी गाँव की दो सहेलियाँ प्रीतो और मीता,बचपन से ले कर जवानी तक का साथ ,लेकिन आज प्रीतो गौने के बाद ,पहली बार अपने ससुराल दिल्ली जा रही थी |मीतो दूर खड़ी अपनी जान से भी प्यारी सहेली को कार में बैठते  हुए देख़ रही थी ,उसके आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे और यही हाल प्रीतो का भी था ,उसकी  नम आँखें अपनी सहेली मीता को ढूंढ़…

Continue

Added by Rekha Joshi on May 28, 2012 at 9:10pm — 27 Comments

सूरज कभी सोता नही [लघु कथा ]

नन्हे बबलू ने रोहित से पूछा ,''अंकल क्या सूरज थकता नही है ?वह तो कभी सोता ही नहीं ,''उस नन्हे बच्चे के इस सवाल ने रोहित को लाजवाब कर दिया |एक हारे हुए इंसान को उम्मीद की नवकिरण  दिखा रहा था ,उस पांच साल के नन्हे से बच्चे का सवाल |एक हारा हुआ बिल्डर जिसकी बनाई हुई इमारत हाल ही में तांश के पत्तो सी बिखर गई थी और उसके साथ साथ उसकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो  चुकी थी,लेकिन बबलू  का वह वाक्य उसे एक नई राह दिखा रहा था | रोहित ने अपनी कम्पनी के पूरे स्टाफ को फिर से बुलाया ,नयी रूपरेखा तैयार…

Continue

Added by Rekha Joshi on May 21, 2012 at 11:31pm — 25 Comments

इंतज़ार

या खुदा मेरी उल्फत को जिंदगी दे दे 
गम जुदाई काअब और सहा नही जाता |
तडप तडप के गुजारी है हर घड़ी हर पल ,
मेरी वफा का दिया जल जल के बुझा जाता है |
इंतजार और अभी,और अभी और अभी ,
सब्रे पैमाना अब लब से छुटा जाता है |
रात में यह दिल तन्हां डूब जाता है ,
मायूसियों के आलम में दम घुटा जाताहै 

Added by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 12:46am — 20 Comments

पर्यावरण

प्रकृति का संगीत है पर्यावरण ,
वनसम्पदा का प्रतीक पर्यावरण |
कोयल की कूक,पंछी की चहक,
फूलो की महक,झरनों की छलक ,
रंगीं धरती का गीत है पर्यावरण |
प्रदूष्ण ने फैलाया है जाल ,
लिपटी धरा उसमें है आज
बचाना है धरती का आवरण |
कटे पेड़ों से बिगड़ा आकार ,
चहुँ ओर फैला है हाहाकार ,
टूटें तार ,सुना है पर्यावरण |
आओ मिल लगायें नये पेड़ पौधे ,
सूनी धरा में खुशियाँ नई बो दे ,
नये स्वर बनाएं रंगीं पर्यावरण |

Added by Rekha Joshi on May 12, 2012 at 10:00pm — 24 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
18 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
24 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
31 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service