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मनोज अहसास's Blog – July 2016 Archive (2)

ग़ज़ल मनोज अहसास(इस्लाह के लिए)

221 2121 1221 212



हिम्मत को तोड़ देगा दुःखो का बखान भी

गर रास्ता है बंद,दबा ले जबान भी



हाथों से खोदकर ज़मीं पानी तलाश कर

दुश्मन जो तेरा हो गया हो आसमान भी



मैं दर ब दर हुआ था तेरी रुखसती के बाद

आहों में मेरी जल गया तेरा जहान भी



अपनी ही शक्ल देखी जो मुल्जिम बनी हुई

मेरे खिलाफ हो गया मेरा बयान भी

(मुझसे बयां न हो सका मेरा बयान भी)



झगड़ो पे मिली जिनसे नसीहत हमें सदा

अपनी वजह से चलती है उनकी दुकान भी



बेचारगी… Continue

Added by मनोज अहसास on July 16, 2016 at 4:54pm — 6 Comments

ग़ज़ल मनोज अहसास(इस्लाह के लिए)

2122 2122 2122 212



मुस्कुराहट ही सदा मिलती खता के सामने

सारी दुनिया छोटी है माँ की अदा के सामने



छत नहीं मिलती है जिनको एक ऊँचाई के बाद

गिर भी जाती हैं वो दीवारें हवा के सामने



सिर्फ वो ही ढक सकेगा अपनी खुद्दारी का सर

दौलतें प्यारी नहीं जिसको अना के सामने



जिनकी दहशत से सितम से जल रहा सारा जहां

वो भला क्या मुँह दिखायेगें खुदा के सामने



आसमां सी सोच हो और बात हो ठहरी हुई

फिर ग़ज़ल मंज़ूर होती है दुआ के सामने



तेरे… Continue

Added by मनोज अहसास on July 10, 2016 at 9:37am — 14 Comments

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