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Usha Awasthi's Blog – December 2022 Archive (3)

शोक से परे हो जाओ

उषा अवस्थी

यह कोरा उपदेश नहीं

कोई झूठा संदेश नहीं

सत्य ही आधार है

न स्त्री, न पुरुष 

एक निराकार है

मौत हमारा क्या बिगाड़ेगी?

हम उससे डरें क्यों?

भूत हो, वर्तमान हो,भविष्य हो

हम काल के महाकाल हैं

सदा चैतन्य; नहीं इन्द्रजाल हैं

आत्मा कहाँ मरती है?

अतः इस जगत की 

वैतरणी के पार

सच्चिदानन्द में समाओ

शोक से परे हो जाओ

मौलिक एवं…

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Added by Usha Awasthi on December 24, 2022 at 11:14am — No Comments

दुनिया

उषा अवस्थी

जहाँ अपना कुछ नहीं 

सब पराया है

न जाने कौन सा 

आकर्षण समाया है? 

चारों ओर मारा-मारी है

धन-दौलत की खुमारी है

प्रतिस्पर्धा तारी है

अहंकार पर सवारी है

प्रति पल बदलाव है

न ही ठहराव है

इच्छित वस्तु प्राप्त हो जाए 

फिर आगे क्या? 

सब यहीं छोड़ जाना है

पाँच तत्वों का ताना-बाना है

कहीं स्थिरता नहीं

केवल आना है,जाना है

मौलिक एवं…

Continue

Added by Usha Awasthi on December 16, 2022 at 10:46am — 1 Comment

लोक कथाएँ "कुछ" कहती हैं

उषा अवस्थी

लोक कथाएँ "कुछ" कहती हैं

भाव भरे, विभिन्न रस सिंचित

वह जीवन को गहती हैं

जुड़े रहें सम्बन्ध आपसी

प्रेम प्रगाढ़ विरचती हैं

परिवारों के रिश्ते-नाते

नेह- स्वरों से भरती हैं

प्रीति- पगे सुन्दर वचनो से

हो उत्फुल्ल गमकती हैं

सामाजिक समरसता के 

शुभ ताने-बाने बुनती हैं

लोक -कथाएँ "कुछ" कहती हैं

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Usha Awasthi on December 10, 2022 at 7:17pm — 2 Comments

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"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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