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इमरान खान's Blog – November 2012 Archive (3)

दर्दे तन्हाई

२१२ २१२

मैं जहाँ भी रहूँ,

तू भी आती है क्यूँ।



मैं अकेला कहाँ,

तेरी यादों में हूँ।



ठोकरें भी लगें,

तो भी चलता रहूँ।



मेरी बर्बादियाँ,

चल रही दू ब दूँ।



कत्ले अरमाँ या जाँ,

बोल दे क्या करूँ।



जिस्म ठंडा हुआ,

रूह जलती है क्यूँ।



है तेरी याद में,

दीद में खूँ ही खूँ।



ज़ख़्मी सारा जिगर,

दर्द कैसे सहूँ।



आशियाना नहीं,

बेठिकाना फिरूँ।



यार भी छल…

Continue

Added by इमरान खान on November 20, 2012 at 11:30pm — 9 Comments

अहवाल-ए-ज़वाल

२१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२

पुर-शुआ पुर-शुआ था हमारा शहर, रोशनी में नहाया हुआ था समाँ,

आज लेकिन न जाने ये क्या हो गया, हो गया है अँधेरा अँधेरा जवाँ।



हैं तवारीख में दास्तानें सभी, वक्त की मार से खाक में मिल गये,

जो जवाहर सजाते रहे ताज में, और ताबे रहा जिनके सारा जहाँ।



उल्फतों से यही हाय कहता रहा, मैं तुम्हारा बना हूँ सदा के लिये,

पर अचानक उसी ने गज़ब ये किया, चल दिया ठोकरें दे न जाने कहाँ।



बन्द कर के निगाहें भरोसा किया, जानो…

Continue

Added by इमरान खान on November 17, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

धड़कनें जलती बुझती रही रात भर...

दिल की लौ थरथराती रही रात भर,

धड़कनें जलती बुझती रही रात भर।



गिर के खुद ही सम्भलती रही रात भर,

ज़िन्दगी लड़खड़ाती रही रात भर।



मैंने रब से भी कितनी ही फरियाद की,

एक तसल्ली ही मिलती रही रात भर।



बुझ न जब तक गई इन चराग़ों की लौ,

तेज़ आँधी ही चलती रही रात भर।



शाम घिरने से लेके सहर खिलने तक,

दर हवायें बजाती रही रात भर।



उसका वादा था वो पर नहीं आ सका,

ये खलिश दिल जलाती रही रात भर।



जब हवा रात भर ठंडी ठंडी… Continue

Added by इमरान खान on November 15, 2012 at 11:26am — 8 Comments

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