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दिलीप कुमार तिवारी's Blog – October 2013 Archive (2)

दिल्ली

एक शहर

अत्यधिक आधुनिक टापुओ का है

जहाँ गरीवी बहुत बौनी दिखती है

हर गली में अमीरी गुलजार है

वहाँ गरीवो से अप्रत्यासित घ्रणा

अमीरों के अमीरी से बेशुमार प्यार है

वह "ग़ालिब "का शहर प्रेम से कितनी दूर हो गया है

हैवानियत ,दरिन्गीं ,लफ्फाजियो  के लिए मशहूर हो गया है

इस शहर में रहते है भारत के कर्णधार

जिनका प्रिय पेशा है भ्रस्टाचार

ओ किसी भी काम में अपने को शिद्ध पुरुष मानते है

तोप ,प्याज ,अनाज से लेकर चारा तक खाने में माहिर है …

Continue

Added by दिलीप कुमार तिवारी on October 8, 2013 at 11:30pm — 13 Comments

संवेदना

संवेदन शील मन

बार-बार क्यों

डूबता उतराता है

संवेदना के समंदर में

हजारबार गोते खाता है

प्रश्नों का अम्बार है

आज तो मर्यादा का व्यापार है

वास्तव में संवेदनाहीन हो रहा संसार है

गरीवी ,लाचारी ,बेचारी ,बेरोजगारी और कुछ शब्द थे ,

जिनमें संवेदना का अधिकार व्याप्त था

संवेदनशील मन के लिए इन शब्दों का होना पर्याप्त था

किन्तु संवेदना की परिभाषा बदल गयी

जहाँ संवेदना थी ओ भाषा बदल गयी

आज अत्याचारी ,बलात्कारी, भ्रष्टाचारियों पर…

Continue

Added by दिलीप कुमार तिवारी on October 7, 2013 at 12:30am — 15 Comments

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